यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। उत्तर प्रदेश में अपराध और माफिया गतिविधियों पर लगाम कसते हुए पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट के तहत एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। शनिवार को गैंग सदस्य शिव प्रताप सिंह उर्फ चीनू और उसके गैंग लीडर संजीव पारिया तथा सह अभियुक्त माफिया अनुपम दुबे के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए प्रशासन ने 7 करोड़ 89 लाख 70 हजार 281 रुपए की संपत्ति कुर्क कर ली। यह संपत्ति अवैध तरीके से अर्जित की गई थी, जिसे पुलिस ने जिला मजिस्ट्रेट के आदेश और पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में कुर्क किया।
रविवार को तहसीलदार सदर श्रद्धा पांडे के नेतृत्व में मऊ दरवाजा पुलिस, सदर कोतवाली और अन्य थानों की संयुक्त टीम ने यह कार्रवाई की। टीम ने सबसे पहले मौके पर पहुंचकर कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किया और फिर डुगडुगी पिटवाकर संपत्तियों को जब्त किया।
इस कार्रवाई में प्रभारी निरीक्षक मऊ दरवाजा भोलेंद्र चतुर्वेदी, प्रभारी निरीक्षक कादरी गेट अवध नारायण पांडेय और थाना कोतवाली सदर के प्रभारी निरीक्षक राजीव कुमार पांडे के साथ भारी पुलिस बल मौजूद था। संपत्तियों की कुर्की के दौरान पूरे इलाके में सख्त सुरक्षा इंतजाम किए गए थे।
कुर्क की गई संपत्तियों में चीनू, उसके परिजनों और रिश्तेदारों के नाम पर दर्ज कुल 14 संपत्तियां शामिल थीं। ये संपत्तियां फर्रुखाबाद और आसपास के क्षेत्रों में स्थित थीं। पुलिस ने बताया कि इन संपत्तियों को अवैध ढंग से अर्जित किया गया था और इनके खिलाफ पहले से ही कानूनी कार्रवाई चल रही थी। संपत्ति कुर्की की यह कार्रवाई गैंगस्टर एक्ट के तहत की गई, जिसके तहत प्रशासन को अवैध संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार है।
इससे पहले गैंग लीडर संजीव पारिया पुत्र जगन्नाथ सिंह, निवासी ओल्ड ग्रांट बंगला कैंट फतेहगढ़, और सह अभियुक्त माफिया अनुपम दुबे पुत्र महेश चंद्र दुबे, निवासी कसरट्टा, की संपत्तियों को पहले ही कुर्क किया जा चुका है। दोनों अपराधी जेल में बंद हैं, और उनके खिलाफ भी गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई चल रही है। अनुपम दुबे एक कुख्यात माफिया है, जिस पर कई संगीन मामले दर्ज हैं।
गैंगस्टर एक्ट के तहत चल रही इन कार्रवाइयों से अपराधियों में खलबली मच गई है। प्रशासन का कहना है कि माफिया और अपराधियों की अवैध संपत्तियों के खिलाफ यह मुहिम आगे भी जारी रहेगी। पुलिस अधीक्षक के अनुसार, प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है। इसी कड़ी में यह कार्रवाई की गई, जिससे माफिया नेटवर्क को आर्थिक रूप से कमजोर करने का प्रयास है। इस कार्रवाई के बाद स्थानीय लोगों में चर्चा है कि प्रशासन का यह कदम अपराध और माफिया तंत्र पर भारी पड़ेगा।