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Saturday, July 12, 2025

बेबाक पत्रकारिता को मिला न्याय का समर्थन, हाईकोर्ट ने दी मौन मुहर

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लखनऊ। “CM साहब, हमसे का भूल हुई?”… ये सवाल सिर्फ एक पत्रकार का नहीं, बल्कि उस आम नागरिक की आवाज़ है जो अपने हक़, सवाल और जवाबदेही की उम्मीद करता है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पत्रकार कौशलेन्द्र के वीडियो ने शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर गहरे सवाल खड़े किए हैं, और अब इस सवाल को उच्च न्यायालय की भी अप्रत्यक्ष मान्यता मिल गई है।

पत्रकार कौशलेन्द्र ने एक कार्यक्रम में मंत्री जी से सीधा, तार्किक और जनहित से जुड़ा सवाल किया – लेकिन जवाब में मिली अनदेखी और प्रशासनिक असहिष्णुता। इसके बाद जो हुआ, उसने न सिर्फ प्रेस की स्वतंत्रता को चोट पहुंचाई बल्कि पत्रकारों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े किए।

हाल ही में इस पूरे मामले पर हाई कोर्ट की टिप्पणी और घटनाक्रम को लेकर जिस तरह से न्यायपालिका ने पत्रकार की अभिव्यक्ति के अधिकार को मौन समर्थन दिया, उससे ये स्पष्ट है कि सच पूछना अपराध नहीं है।

कौशलेन्द्र का सवाल न तो अशोभनीय था, न गलत – वह वही पूछ रहे थे जो जनता जानना चाहती है। सोशल मीडिया और यू-ट्यूब पर लाखों लोग वीडियो देख चुके हैं, और अब यह सवाल बन गया है –
“CM साहब, सवाल पूछना क्या गुनाह है?”

यूथ इंडिया इस बेबाक पत्रकारिता को सलाम करता है और लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आज़ादी की आवाज़ को बुलंद बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

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