2 वर्ष पूर्व शिवा तुरैको कंपनी की गोदाम में हुई संदिग्ध मौत की फिर खुलेगी फाइल
यूथ इण्डिया संवाददाता
कायमगंज, फर्रूखाबाद। तम्बाकू के गुमनाम व्यापार के बलबूते रातों रात लोग रंक से राजा बन जाते है। यह बात देखनी हो तो कस्बा कायमगंज पहुंंचिए जहां एक नही कई ऐसे कारोबारिए हैं, जो काले व्यापार के बलबूते फर्स से अर्स तक पहुंच गये। उनमें से एक है अवधेश कौशल जिसने तम्बाकू के बूते डेढ दशक में करोड़ों के बारे न्यारे कर डाले। एक जमाना था जब तकादेगीर देखते ही वह अपनी गोदाम में लगे बोरों के पीछे छिप जाता था।
बात कोई ज्यादा पुरानी नही वर्ष 2007 की है जब तम्बाकू व्यवसायी अवधेश कौशल छोटे से मकान में अपने १५ लोगों के परिवार के साथ रहता था। किराये की गोदाम बाईपास रोड़ पर तकादे वालों की झडी लगती थी। इसके बाद शिवम टुबैको कंपनी अंवाला हरियाणा बनाने के बाद बिना कागज बिल के माल बेंच चंद वर्षो में कौशल ने अकूत दौलत हासिंल कर ली आज दस से 12 गाडियां तम्बाकू लदी उसकी बाहर जाना आम बात है।
चंद वर्षो में ही कौशल की आलिशान कोठियां गोदामें बन गई। शुकुरूल्लापुर में नियमों को ताक पर धर पी एंड ए रिफायनरी प्राईवेट लिमिटेड के जरिए कई करोड़ काली कमाई लगाकर अब तेल के खेल में वह अगली चौसर बिछा चुका है। इस रिफायनरी में प्रशासन की आंखों में धूल झोंक पर्यावरण और लेवर जैसी तमाम अनापत्तियां न मिलने के बाबजूद काम चरम पर है। हांलाकि नेडा से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक की नजर इस अवैध रिफायनरी पर तो है ही साथ ही आयकर विभाग ने भी निकलते बैठते इसे अपनी नजरों में शामिल किया । तम्बाकू के अवैध परिवहन में अकेले कौशल ही नही कईऔर व्यवसायी भी शामिल है। जिनका चिठ््ठा भी जीएसटी विभाग खोजने में लगा है।
अकूत दौलत के बाद आशनाई में भी साहब पीछे नही है। गंगा दरवाजे स्थित गुप्ता विरादरी की मोहतरमा का इश्क-मुश्क भी सरे बाजार हो रहा है। वहीं मौत की नींद में दो वर्ष पूर्व संदिग्ध स्थितियों में सुलाई गई उस आत्मा को भी न्याय मिलने की उम्मीद जग उठी है। जिसके पति को शराब के नशे में धुत कर रंगीनियों की सौगातें हासिंल की जाती रहीं। कायमगंज के तम्बाकू व्यापार में मुन्ना का खेल भी बिलकुल अलग है। अब ट्रांसपोर्टर भी नही है पुराने का खेल खत्म हो चुका क्योकि उसका चेहरा जाना पहचाना था। जिम्मेदारों की नजर न केवल तम्बाकू व्यवसाय पर है बल्कि धूल में मिलाई गई हत्या की फाइलों को भी खंगाला जा रहा।