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Monday, December 2, 2024

क्रिश्चियन कॉलेज मैदान में रावण दहन देखने उमड़ा जनसैलाब, जय श्री राम के नारों से गूंजा आसमान

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यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रूखाबाद। असत्य पर सत्य की जीत, अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक पर्व विजयदशमी यानि कि विजय दशहरा जनपद घर में धूमधाम के साथ मनाया गया जगह-जगह शस्त्र पूजन हुआ वहीं क्रिश्चियन कॉलेज रामलीला ग्राउंड पर राम और रावण के बीच भीषण युद्ध के बाद धर्म की विजय हुई और भगवान राम ने 31 तीर चलाते हुए रावण को धराशाई कर दिया जिस पर जय श्री राम के उद्घोषों से सर मैदान भूल गया इसके बाद आगरा से आए कलाकारों द्वारा बनाए गए रावण के पुतलों का दहन और आतिशबाजी देखते ही बनी। इस दौरान सांसद मुकेश राजपूत विधायक सदर मेजर सुनील दत्त द्विवेदी मेले में मौजूद रहे।
विजय दशमी के पावन पर्व पर क्रिश्चियन इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित रावण दहन कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोग उमड़े। राम और रावण के बीच हुए भीषण युद्ध के जीवंत मंचन ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। जैसे ही रावण धराशायी हुआ, पूरे मैदान में “जय श्री राम” के नारों की गूंज सुनाई दी। कार्यक्रम में भव्य आतिशबाजी के बीच रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया।
कार्यक्रम में सांसद मुकेश राजपूत, विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी, जिलाधिकारी डॉ. वीके सिंह और पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी ने रावण पर प्रतीकात्मक तीर चलाकर उसका अंत किया। इसके बाद भव्य आतिशबाजी के बीच पुतलों का दहन हुआ, जिसने वहां मौजूद जनसमूह का मन मोह लिया। कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। कादरीगेट थानाध्यक्ष अमोद कुमार सिंह के नेतृत्व में पुलिस बल ने व्यवस्था को संभाला। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. संजय कुमार सिंह खुद मोर्चा संभाले रहे, जिससे कार्यक्रम शांतिपूर्वक संपन्न हो सका। हालांकि, रामलीला मंडल की लचर व्यवस्था के चलते इस बार मेला पिछले वर्षों की तुलना में कम आकर्षक रहा। समुचित बैठने की व्यवस्था और टेंट का अभाव रहा, जिससे कई लोग कार्यक्रम समाप्त होने से पहले ही लौट गए। जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी इस अव्यवस्था के चलते बीच में ही कार्यक्रम छोड़कर चले गए। रावण दहन से पहले धार्मिक परंपरा अनुसार रावण की लंका का दहन किया गया। भव्य आतिशबाजी और जयकारों के बीच पूरे कार्यक्रम का समापन हुआ, जिसे देखने के लिए लोग आसपास के मकानों की छतों तक पर चढ़ गए थे। इस साल भी विजय दशमी का यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बनकर जनमानस में अपनी अमिट छाप छोड़ गया।

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