उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने वाराणसी स्थित स्वर्वेद महामंदिर में शताब्दी समारोह के अवसर पर कई धार्मिक और सामाजिक मुद्दों को संबोधित किया। उनके वक्तव्य न केवल धार्मिक आस्था और राष्ट्रधर्म के महत्व को रेखांकित करते हैं, बल्कि जनहित और प्रशासनिक सुधारों की उनकी प्रतिबद्धता को भी उजागर करते हैं। यह दौरा उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहरों को पुनर्जीवित करने और नागरिक समस्याओं के समाधान को प्राथमिकता देने का एक और प्रमाण है।
मुख्यमंत्री ने शताब्दी समारोह के दौरान संतों और नागरिकों को राष्ट्रधर्म निभाने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा, “जब तक देश सुरक्षित रहेगा, तब तक धर्म भी सुरक्षित रहेगा।” यह वक्तव्य न केवल देशभक्ति को प्रोत्साहित करता है, बल्कि धर्म और राष्ट्र के बीच गहरे संबंध को भी दर्शाता है।
मुख्यमंत्री का यह विचार कि संतों का कोई व्यक्तिगत अस्तित्व नहीं होता, बल्कि उनका प्रत्येक कार्य देश और समाज के लिए होना चाहिए, आधुनिक संदर्भ में धर्म के वास्तविक स्वरूप को परिभाषित करता है। उन्होंने धर्म को केवल पूजा और आध्यात्मिकता तक सीमित न रखते हुए इसे सामाजिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी से जोड़ा।
योगी आदित्यनाथ ने सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शिरकत की, जहां 401 नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद और उपहार प्रदान किए। सामूहिक विवाह जैसे कार्यक्रम सामाजिक समरसता और दहेज प्रथा जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास हैं। मुख्यमंत्री ने दहेज प्रथा को एक “सामाजिक संकट” बताते हुए इस प्रथा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने की अपील की। सामूहिक विवाह जैसी घटनाएं गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को आर्थिक रूप से राहत प्रदान करती हैं और समाज में समानता और सौहार्द को बढ़ावा देती हैं।
दहेज प्रथा जैसे मुद्दों पर मुख्यमंत्री का रुख न केवल उनकी सामाजिक संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि यह उनकी नीति का हिस्सा भी है, जिसमें वह महिलाओं और कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण को प्राथमिकता देते हैं।
मुख्यमंत्री ने वाराणसी के चौराहों पर शिव धुन बजाने की व्यवस्था का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि काशी में शिव धुन की ध्वनि एक बार फिर गूंजनी चाहिए। यह कदम धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने की दिशा में उठाया गया है।
शिव धुन का प्रसार न केवल क्षेत्रीय संस्कृति को जीवंत बनाएगा, बल्कि यह वाराणसी को उसकी पारंपरिक पहचान को सुदृढ़ करने में भी मदद करेगा। इसी तरह, प्रयागराज में महाकुंभ से पहले शिव धुन बजाने का निर्देश एक ऐसी पहल है, जो उत्तर प्रदेश की आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक विविधता को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करेगी।
धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देने के साथ-साथ मुख्यमंत्री ने इसे स्थानीय पर्यटन को प्रोत्साहित करने के एक साधन के रूप में भी देखा है।
मुख्यमंत्री का यह दौरा केवल धार्मिक और सांस्कृतिक विषयों तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने अधिकारियों को प्रशासनिक सुधारों और जनशिकायतों के त्वरित निस्तारण पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएम हेल्पलाइन और आईजीआरएस के माध्यम से नागरिकों की समस्याओं का शीघ्र समाधान सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यह कदम न केवल प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाएगा, बल्कि सरकार और नागरिकों के बीच विश्वास को भी मजबूत करेगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री ने राजस्व मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि “प्रशासनिक देरी ग्रामीण अशांति का कारण बन सकती है,” और इसे रोकने के लिए अधिकारियों को सतर्क रहना होगा।
मुख्यमंत्री ने विकास प्राधिकरण से जुड़े मामलों को लंबित न रखने और शीघ्र निस्तारण की अपील की। यह निर्देश नागरिकों की समस्याओं के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाता है।
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने धर्म और विकास के बीच एक संतुलन कायम करने का प्रयास किया है। उनका यह दौरा इसी दृष्टिकोण का प्रमाण है, जहां उन्होंने धर्म को राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता से जोड़ा और जनहित को सर्वोपरि रखा।
योगी आदित्यनाथ ने धर्म को केवल आस्था तक सीमित न रखते हुए इसे राष्ट्रीय और सामाजिक जिम्मेदारी से जोड़ा।शिव धुन जैसे धार्मिक प्रयासों ने सांस्कृतिक पहचान को मजबूत किया। सामूहिक विवाह कार्यक्रम ने सामाजिक सुधारों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने जनशिकायतों के त्वरित समाधान और प्रशासनिक सुधारों पर जोर दिया। यह दृष्टिकोण राज्य में कानून व्यवस्था और नागरिकों की समस्याओं के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वाराणसी दौरा न केवल धार्मिक आस्था और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने का प्रयास था, बल्कि यह प्रशासनिक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल भी था। उन्होंने धर्म को राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता, और जनहित से जोड़ा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनकी नीतियां संतुलन और प्रगति की ओर केंद्रित हैं।
इस दौरे से यह संदेश मिलता है कि जनहित, सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण, और प्रशासनिक सुधार ही उत्तर प्रदेश की प्रगति की कुंजी हैं। मुख्यमंत्री ने नागरिकों, संतों और अधिकारियों से अपनी जिम्मेदारियों को समझने और राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि रखने का आह्वान किया।