आईपीएस अशोक कुमार मीणा के आत्मबल से माफिया अनुपम दुबे के जुर्म और आतंक की सत्ता का हुआ दहन, गुर्गे रहे नदारद, समर्थक वकीलों ने छुपाये मुँह, छावनी में तब्दील रही ठंडी सड़क |

यूथ इंडिया, फर्रुखाबाद (शरद कटियार): रावण के वध से पहले ढही लंका सोमवार को निकलने वाली राम बारात को फीका कर गई। शहर से लेकर गाँवों तक लोग मोबाइल पर अपडेट लेने में डटे रहे। तमाम तो आतताई पर चले बुलडोजर की खुशी में भूल ही गये की रामबारात भी जाना है।

अपनी दबंगई के बल पर जिस फतेहगढ़ बार की अनुशासन समिति के अनुपम अध्यक्ष रहते थे, वह साथी वकील और हजारों समर्थक आज नदारद रहे। हर ओर खुशी का ऐसा माहौल रहा, मानो रावण आज ही फुंका हो। गुण्डाराज के खात्मे की मोहर देख हर तबका सीएम योगी के जयकारे लगाते दिखा। लोग बोले कि वास्तव में महाराज में दम है जिनके आगे गुण्डे चारों खाने चित हो रहे।

सोमवार को जब सुबह छह बजे नगर मजिस्ट्रेट और ईओ पालिका का काफिला ठंडी सड़क पहुँचा तो मानो भोर की पहली किरण के साथ पूरा शहर जाग गया। अनुपम का अभिमान आज चूर होगा, गुण्डाराज को कानून का जबाव मिलेगा। यह बाते हर जुबान पर थीं। पुलिस प्रशासन ने ठंडी सड़क को सुबह ही छावनी में तब्दील कर दिया था ताकि परिंदा पर न मार सके और माफिया के दुर्ग को आसानी से ढहाया जा सके।

एक जमाना था जब अनुपम के नाम से आम जनमानस कांप उठता था। फोन पर… मैं अनुपम सुनते ही अच्छे-अच्छे लोग सहम जाते थे और तो और दूर तमाम सजातीयों की जमीनों पर अनुपम और उसके कुनबे कब्जे किए हुए थे। माफिया अनुपम के संरक्षण में कचहरी से लेकर छुटभैये गुण्डे भी खुद को डॉन समझते थे।
कहने को अनुपम बसपा नेता था लेकिन उसकी सल्तनत हर दल में प्रभावी थी। समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार में भी अनुपम की तूतीं बोली। थानों से लेकर लोक निर्माण विभाग समेत तमाम विभागों में अनुपम का सीधा दखल रहा। उसके प्रभाव में अनुपम का भाई अनुराग दुबे डब्बन व उसकी पत्ती मीनाक्षी दुबे आज भी सरकारी सेवा में अध्यापक के तौर पर पगार पा रहे हैं। यह अनुपम का खौफ था जब लोग उसके व भाईयों के नाम से थानों में मुकदमा लिखाने से डरते थे। रंगदारी और रंगबाजी के दौर में अनुपम के गुर्गे भी करोड़ों के मालिक बन बैठे।

जुर्म और आतंक के पर्याय अनुपम दुबे ने सत्तारूढ़ भाजपा के कई माननीयों को भी अपनी ड्योड़ी का दास बना लिया था। उसके ब्लॉक प्रमुख भाई अमित दुबे बब्बन के शपथ ग्रहण में मोहम्मदाबाद में वह बड़ी हस्तियां भी बधाई देने पहुँची थी, जिनके आगे ब्लॉक प्रमुख का पद एक पियादा के समान है। जमीनों के कारोबार में अनुपम व उसका कुनबा जिले में अपनी धाक रखता था। हर कीमती पसंद आ गयी जमीन उनकी होती थी। सरकारी ट्रस्ट और हनुमान ट्रस्ट जैसे मंदिरों पर अनुपम का कब्जा होता था।

आतंक पर्याय रहे अनुपम ने बीते बीस वर्षों में तमाम छुटभैयों को बड़ा गुण्डा बना दिया। जिनके आतंक से नगर मोहल्लों और गाँवों में लोग भयजदा रहते थे। बहन, बेटियां सुरक्षित नहीं थीं। अनुपम ने खुद का चेहरा तो राजनीति में लाकर बेदाग कर लिया था, लेकिन उसका गैंग इतना विशाल हो गया था जो मुख्यमंत्री के हंटर से ही काबू में आया। राज्य के मुखिया योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर आतंक का पर्याय रहा अनुपम सलाखों के पीछे पहुँचा, उसका गैंग तितर-वितर हुआ, जनपद और आसपास के लोगों ने राहत की सांस ली, भ्रष्टाचार और अपराध पर अंकुश लगा।
पूर्व एसपी अशोक कुमार मीणा जिले के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गए। जिनके प्रयासों से इस बाहूबली गुण्डे पर बड़ी कार्यवाही के चाबुक चलने शुरु हुए। यह एसपी मीणा के आत्मबल की बात थीजो जुर्म सम्राट हाथी को धराशाही कर दिया गया। |