यूथ इंडिया: अयोध्या में श्रीराममंदिर का शुभारंभर अगले साल 22 जनवरी को प्रस्तावित है। पीएम मोदी खुद इस अवसर पर अयोध्या आ सकते हैं। शुभारंभ की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इस बीच श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने प्रोटोकॉल वाले वीवीआईपी जैसे राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों और राजदूतों को उस अवसर पर अयोध्या नहीं आने की अपील की है। ट्रस्ट का कहना है कि उस दिन वीवीआईपी का उस तरह से स्वागत सत्कार नहीं हो सकेगा, जैसा होना चाहिए। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि यह लगभग साफ हो गया है कि राम मंदिर का भव्य शुभारंभ 22 जनवरी को होगा। पीएम मोदी उस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। अब पीएम कार्यालय को ही नरेंद्र मोदी के अयोध्या दौरे की तारीख की आधिकारिक घोषणा करनी है। ऐसे में संवैधानिक पदों पर बैठे प्रोटोकॉल वाले वीवीआईपी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन अयोध्या न आएं।
चंपत राय ने कहा कि ट्रस्ट और स्थानीय प्रशासन 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, राजदूतों और उनके साथ संवैधानिक प्रोटोकॉल रखने वाले किसी भी व्यक्ति को उचित तरीके से सेवा नहीं दे पाएंगे। 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर के ‘भूमि पूजन’ के लिए भी यही प्रक्रिया अपनाई गई थी। उस कार्यक्रम में भी कोई वीवीआईपी नहीं आया था।
चंपत राय ने बताया कि प्राण-प्रतिष्ठा समारोह वाले दिन राम लला (भगवान राम के शिशु रूप) की मूर्ति को राम मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा और उसके बाद मंदिर भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा। राय ने देशभर के श्रद्धालुओं से 26 जनवरी के बाद ही अयोध्या आने की अपील की है।
ट्रस्ट ने नवनिर्मित राम मंदिर में राम लला के दर्शन करने के लिए 26 जनवरी के बाद अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को अयोध्या आमंत्रित करने का भी निर्णय लिया है। बड़ी संख्या में एनआरआई ट्रस्ट के संपर्क में हैं और वे भगवान राम के दर्शन करने के लिए अयोध्या आना चाहते हैं। कहा कि हमने उन्हें 26 जनवरी 2024 के बाद आमंत्रित करने का फैसला किया है।
इससे पहले चंपत राय की तरफ से देशभर के साधु संतों से भी जनवरी में अयोध्या नहीं आने की अपील की जा चुकी है। साधु संतों से कहा गया है कि मौसम थोड़ा गर्म होने के बाद ही वह लोग राम लला का दर्शन करने के लिए अयोध्या आएं।