यूथ इंडिया संवाददाता
जहानगंज, फर्रुखाबाद। गाँव में अवैध रूप से बन रहे पंचायत घर को लेकर विवाद गहराता जा रहा है, क्योंकि यह निर्माण कार्य कथित रूप से कब्रिस्तान की जमीन पर किया जा रहा है। गाटा संख्या 55, जो कि आधिकारिक तौर पर कब्रिस्तान के रूप में दर्ज है, पर इस पंचायत घर का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही गाटा संख्या 115, जो आम रास्ता के रूप में दर्ज है, उस पर भी अतिक्रमण किया गया है।
गाटा संख्या 55 को 19 दिसंबर 1991 से 15 जनवरी 2021 तक कब्रिस्तान के रूप में दर्ज किया गया था। मौजूदा स्थिति में इस जमीन पर कब्रें भी मौजूद हैं, लेकिन 25 वर्षों से कोई नया कब्र का निर्माण नहीं हुआ है। इस विवाद के बीच, राजस्व अधिकारियों द्वारा इस भूमि को परती जमीन घोषित किया गया, जो अब सवालों के घेरे में है। पूर्व प्रधान अनूप कटियार ने 2020 में इस भूमि को कब्रिस्तान घोषित करने का प्रस्ताव भी रखा था, जिसे स्वीकार कर लिया गया था।
नायब तहसीलदार हर्षित सिंह ने इस मामले की जांच के दौरान माना था कि गाटा संख्या 55 पर कब्रिस्तान है और उनके बयानों में यह भी स्पष्ट है कि यह भूमि कब्रिस्तान के रूप में ही उपयोग होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि पिछले 25 वर्षों में वहां कोई नया निर्माण नहीं हुआ, लेकिन भूमि की स्थिति और उपयोग को देखते हुए इसे कब्रिस्तान के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए थी।
स्थानीय राजस्व कर्मियों पर आरोप है कि उन्होंने राजनीतिक दबाव में आकर इस भूमि को “परती” घोषित कर दिया। इसके पहले भी, लेखपाल ज्योति शर्मा ने गाटा संख्या 104 और 106 का बिना स्थल पर गए प्रस्ताव तैयार कर दिया था, जबकि इन स्थानों पर पूर्व में चार बार सुंदरीकरण कार्य किया जा चुका है। इन स्थानों की जांच पहले ही हर्षित सिंह द्वारा की जा चुकी है, जिससे कई अनियमितताएं सामने आई थीं।
यह विवाद अब प्रशासन के लिए चुनौती बनता जा रहा है। पंचायत घर का निर्माण जारी है, लेकिन स्थानीय निवासियों और कई सामाजिक संगठनों का विरोध भी तेज होता जा रहा है। लोगों का मानना है कि कब्रिस्तान की जमीन पर पंचायत घर का निर्माण न केवल अवैध है, बल्कि यह धार्मिक भावनाओं का भी अपमान है।
अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और कब्रिस्तान की जमीन पर हो रहे इस अवैध निर्माण को रोकने के लिए क्या कार्रवाई होती है।