भारत की स्वतंत्रता के बाद से, कृषि क्षेत्र (Agricultural Sector) हमेशा राजनीतिक चर्चा का केंद्र रहा है। किसानों के नाम पर वादे तो बहुत हुए, लेकिन ज़मीनी स्तर पर जो सुधार और क्रियान्वयन होना चाहिए था, वह कई दशकों तक अधूरा ही रहा। हालांकि, 2014 के बाद केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में ठोस सुधार की शुरुआत हुई। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि क्षेत्र में राज्य को अग्रणी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उनकी नीतियों और विचारधाराओं का प्रभाव आज स्पष्ट रूप से दिख रहा है। हाल ही में, एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के कल्याण के लिए किए गए कार्यों और उनके दूरगामी प्रभावों पर चर्चा की.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को केवल एक राजनीतिक एजेंडे तक सीमित रखने के बजाय उन्हें प्राथमिकता दी। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, पीएम फसल बीमा योजना, और मृदा परीक्षण कार्ड जैसी पहलों ने किसानों के जीवन को बदल दिया है। इन योजनाओं ने न केवल किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य दिलाने में मदद की, बल्कि उन्हें तकनीकी सहायता भी प्रदान की।
उत्तर प्रदेश में पिछले सात वर्षों में 23 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा से जोड़ा गया है। बुंदेलखंड में अर्जुन सहायक परियोजना जैसी योजनाओं ने किसानों की आय को कई गुना बढ़ाने में मदद की है। उदाहरण के लिए, जिन क्षेत्रों में पहले प्रति बीघा 5,000 रुपये की वार्षिक आय होती थी, अब वहां प्रति बीघा 50,000 रुपये की आमदनी हो रही है।
मुख्यमंत्री ने किसानों को प्राकृतिक खेती के महत्व से भी अवगत कराया। उत्तर प्रदेश में गंगा तटवर्ती 27 जिलों और बुंदेलखंड के सात जिलों में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्राकृतिक खेती न केवल भूमि की उर्वरता को बनाए रखती है, बल्कि खेती की लागत को भी कम करती है। मुख्यमंत्री ने बताया कि यदि उत्तर प्रदेश के 161 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को प्राकृतिक खेती में बदल दिया जाए, तो यह राज्य को लाखों करोड़ रुपये की बचत दे सकता है।
उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में 120 चीनी मिलें कार्यरत हैं, और गन्ना किसानों को एक सप्ताह के भीतर उनके भुगतान की गारंटी दी जा रही है। यूपी में 25% आलू और 30% मक्का का उत्पादन होता है। इसके अलावा, धान, गेहूं, दलहन और तिलहन में भी किसान उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने बिजनौर के एक किसान की प्रेरक कहानी साझा की, जो 10 एकड़ भूमि पर एक करोड़ रुपये का वार्षिक लाभ अर्जित कर रहे हैं। इसी प्रकार, एक अन्य किसान पिपरमेंट की खेती करके 200 करोड़ रुपये का वार्षिक निर्यात कर रहे हैं। इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि किसानों को सही संसाधन और मार्गदर्शन मिले, तो वे अभूतपूर्व सफलता हासिल कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक गोवंश पालने वाला राज्य है। राज्य सरकार ने निराश्रित गोवंश की देखभाल के लिए विशेष योजनाएं शुरू की हैं। गोवंश संरक्षण के साथ-साथ यह पहल जहरमुक्त खेती को बढ़ावा देने के लिए भी है। मुख्यमंत्री ने बताया कि गोशालाओं में 12 लाख से अधिक गोवंश की देखभाल की जा रही है।
उत्तर प्रदेश के पास देश की केवल 11% कृषि योग्य भूमि है, लेकिन यहां 20% से अधिक खाद्यान्न का उत्पादन होता है। यह दर्शाता है कि राज्य में खेती की उर्वरता और किसानों की मेहनत का स्तर कितना ऊंचा है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि किसानों को उन्नत तकनीक, अच्छे बीज और समय पर सहायता उपलब्ध कराई जाए, तो उत्तर प्रदेश अकेले देश-दुनिया का पेट भर सकता है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश में 2017 में उनकी सरकार बनने के बाद 86 लाख किसानों का 36,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के 12 करोड़ किसानों और यूपी के 2.62 करोड़ किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। ये योजनाएं अन्नदाता किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जोर देकर कहा कि किसानों को तकनीक से जोड़ना समय की आवश्यकता है। वेयरहाउस की संख्या बढ़ाने, एफपीओ के माध्यम से किसानों को जोड़ने, और सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि में तकनीकी हस्तक्षेप से उत्पादन क्षमता में कई गुना वृद्धि हो सकती है।
मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की ताकत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य की 70% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और कृषि यहां की आय और रोजगार का मुख्य साधन है। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि यदि किसानों को सही दिशा और संसाधन दिए जाएं, तो उत्तर प्रदेश न केवल भारत की खाद्यान्न टोकरी बनेगा, बल्कि वैश्विक खाद्यान्न आपूर्ति में भी योगदान देगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के कल्याण और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए ठोस नीतियां बनाई हैं। उनकी सरकार की योजनाओं और प्रयासों का उद्देश्य किसानों को आत्मनिर्भर बनाना और कृषि क्षेत्र को मजबूत करना है। यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में कृषि सुधारों के माध्यम से राज्य और देश दोनों के आर्थिक विकास को गति दी जा रही है। यदि इस दिशा में निरंतर प्रयास जारी रहे, तो उत्तर प्रदेश कृषि क्षेत्र में विश्व स्तर पर एक मिसाल बन सकता है।