प्रशांत कटियार ✍🏿
आज के डिजिटल युग में स्मार्टफोन हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। इसने जहां हमें दुनिया से जोड़ने के नए रास्ते दिखाए हैं, वहीं इसके नकारात्मक प्रभाव भी हमारी सामाजिक जीवन और रिश्तों पर साफ नजर आ रहे हैं। खासकर परिवार और रिश्तेदारों के साथ बढ़ती दूरियों को लेकर यह चिंता का विषय बन चुका है।
फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स ने हमारे संबंधों को एक नई दिशा दी है। इन प्लेटफॉर्म्स पर हजारों दोस्त और फॉलोअर्स बनाए जा सकते हैं, लेकिन क्या यह सच में रिश्तों को मजबूती देता है? सोशल मीडिया पर लाइक, कमेंट, शेयर और मेंशन की होड़ ने मानो वास्तविक रिश्तों की अहमियत कम कर दी है। अब हम अपने परिवार और रिश्तेदारों से मिलने के बजाय सोशल मीडिया पर व्यस्त रहते हैं, जहां असली संबंधों के बजाय डिजिटल दिखावा ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है।
हमारे पास हजारों ‘दोस्त’ होते हैं, लेकिन क्या इनमें से कोई वास्तविक मित्रता का उदाहरण प्रस्तुत करता है? क्या हम इन डिजिटल रिश्तों को असली जीवन में निभा पाते हैं? फेसबुक और इंस्टाग्राम पर एक-दूसरे के पोस्ट पर लाइक और कमेंट्स करने से कोई भी रिश्ते सशक्त नहीं होते। यह सिर्फ आभासी दुनिया में संवाद का एक तरीका बन कर रह जाता है। असल में, जब हम परिवार के साथ होते हैं, तो हमारा ध्यान फोन की स्क्रीन पर होता है, न कि उनके साथ बिताए गए समय पर।
घर-परिवार और रिश्तेदारों से वास्तविक संवाद और संपर्क की कमी से न केवल भावनात्मक दूरी बढ़ रही है, बल्कि हम मानसिक रूप से भी अकेलापन महसूस करने लगे हैं। सोशल मीडिया पर हम दूसरों से जुड़ते हैं, परंतु यह जुड़ाव अस्थायी और सतही होता है। असली रिश्ते, जो प्यार, समझ और समय की आवश्यकता रखते हैं, अब स्मार्टफोन की वजह से पीछे छूटते जा रहे हैं। हम फोन में खो कर अपनी सबसे करीबी दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं कि सोशल मीडिया ने दुनिया को एक नए रूप में बांधने का काम किया है, लेकिन अगर हम इसे सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करते, तो यह हमें हमारे असली रिश्तों से और अधिक दूर कर सकता है। लाइक और कमेंट्स की तुलना में हमें अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने की आवश्यकता है, क्योंकि असली संबंध उन्हीं में होते हैं, जो हमारी जिंदगी में भावनात्मक समर्थन और समझ लाते हैं।
इसलिए, स्मार्टफोन का सही इस्तेमाल करना जरूरी है, ताकि हम अपनी डिजिटल दुनिया को असली रिश्तों से जोड़ सकें। सोशल मीडिया का उद्देश्य हमें अन्य लोगों से जोड़ना हो सकता है, लेकिन असली जुड़ाव तब होता है जब हम अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ समय बिताते हैं, उनसे बात करते हैं और उनके साथ वास्तविक संबंध बनाते हैं। स्मार्टफोन को आभासी दुनिया से असली दुनिया तक की कड़ी के रूप में देखना चाहिए, ताकि हम दोनों में संतुलन बना सकें।
लेखक दैनिक यूथ इंडिया के स्टेट हेड हैं।