
लखनऊ (प्रशान्त कटियार)। प्रमुख सचिव, प्राविधिक शिक्षा एम. देवराज की अध्यक्षता में हुई विभागीय पदोन्नति समिति की संस्तुति और शीर्ष स्तर पर सहमति के बावजूद, आशीष पटेल द्वारा राजनीतिक चरित्र हनन के लिए मीडिया ट्रायल की कड़ी आलोचना की गई है। उन्होंने इसे अस्वीकार्य बताते हुए उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशक शिशिर सिंह से अपील की कि वे झूठ और मीडिया ट्रायल का यह खेल रोकें।
आशीष पटेल ने कहा, यदि यह विभागीय पदोन्नति गलत है, तो सूचना विभाग को स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि उनके द्वारा लिए गए सभी निर्णयों की सीबीआई जांच कराई जाए ताकि बार-बार के मीडिया ट्रायल और झूठे आरोपों पर स्थायी विराम लगाया जा सके।
आशीष पटेल ने यह भी कहा कि यदि उचित समझा जाए, तो उनकी और उनकी पत्नी, केंद्रीय मंत्री माननीय अनुप्रिया पटेल की संपत्तियों की भी जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि इस पदोन्नति को लेकर कुछ लोगों में जलन है, क्योंकि यह ओबीसी और वंचित वर्गों को लाभ पहुंचा रही है।
बीते दिनों पूर्व जबरिया रिटायर आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने लोकायुक्त को पत्र लिखकर आशीष पटेल की जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि पटेल के कार्यों में अनियमितताएं हैं और मामले की गहराई से जांच की जानी चाहिए।
अपना दल (कमेराबादी) की विधायक पल्लवी पटेल ने सदन में इस मुद्दे को उठाने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें बोलने नहीं दिया गया, जिसके बाद उन्होंने धरना दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि प्राविधिक शिक्षा विभाग में सीधी भर्ती के बजाय घूस लेकर पदों को भरा जा रहा है, जो समाज के कमजोर वर्गों के हक में नहीं है। उन्होंने इस प्रक्रिया को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
आशीष पटेल ने अपने समर्थकों के लिए एक विशेष चेतावनी देते हुए कहा, “यदि सामाजिक न्याय की इस लड़ाई में मेरे खिलाफ कोई षड्यंत्र या दुर्घटना होती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश पुलिस के स्पेशल टास्क फ़ोर्स की होगी।”
इस प्रकार, उत्तर प्रदेश में पदोन्नति विवाद ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, और देखना होगा कि आगे की कार्रवाई क्या होती है।