भारत एक कृषि प्रधान देश है, और इसकी आत्मा गांवों और खेतों में बसती है। यहां के किसानों का पुरुषार्थ और मेहनत देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान करता है और अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाता है। इसी परिप्रेक्ष्य में, चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) के आदर्श और उनकी सोच आज भी प्रासंगिक हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने चौधरी चरण सिंह की 122वीं जयंती पर ‘किसान सम्मान दिवस’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में इस सोच को नए आयाम दिए।
इस दिन का महत्व न केवल किसानों को सम्मानित करने में है, बल्कि सरकार की किसानों के उत्थान और कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर चौधरी चरण सिंह की कृषि-समर्पित विचारधारा को नमन करते हुए किसानों को देश की समृद्धि का केंद्र बताया।
चौधरी चरण सिंह का जीवन किसानों के अधिकारों और उनकी समृद्धि के लिए संघर्ष का प्रतीक है। उनका मानना था कि यदि किसान गरीब रहेगा, तो भारत कभी समृद्ध नहीं हो सकता। उन्होंने कृषि सुधार, छोटे किसानों के अधिकार और भूमि सुधार के लिए अपने पूरे जीवन में प्रयास किए। चौधरी साहब ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया।
उनकी यही सोच आज भी कृषि और किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए मार्गदर्शक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके इन आदर्शों को अपना कर यह साबित किया है कि चौधरी चरण सिंह का सपना आज भी साकार हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 से शुरू हुए कृषि क्षेत्र में सुधार प्रयासों को दुनिया ने एक मॉडल के रूप में स्वीकारा है। स्वॉयल हेल्थ कार्ड, उन्नत बीजों की उपलब्धता, तकनीक आधारित खेती, फसल बीमा योजना, और किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं ने किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं।
सीएम योगी ने इस अवसर पर बताया कि कैसे उत्तर प्रदेश की डबल इंजन सरकार ने इन प्रयासों को आगे बढ़ाया है। गन्ना किसानों को डीबीटी के माध्यम से 2.61 लाख करोड़ रुपये का भुगतान, 23 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए सक्षम बनाना, और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना इसी दिशा में उठाए गए ठोस कदम हैं।
किसान सम्मान दिवस पर मुख्यमंत्री ने उन किसानों को सम्मानित किया जिन्होंने खेती के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया है। यह केवल पुरस्कार वितरण का कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह एक संदेश था कि मेहनत और पुरुषार्थ का हमेशा सम्मान होता है।
गोरखपुर के श्याम दुलारे यादव से लेकर जालौन के हेमंत कुमार और पीलीभीत के नंदलाल तक, इन किसानों की कहानियां प्रेरणा का स्रोत हैं। इनकी मेहनत ने साबित कर दिया कि खेती घाटे का सौदा नहीं है। सरकार ने इनकी पद्धतियों को अन्य किसानों तक पहुंचाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों से जुड़ने का निर्देश दिया है।
योगी आदित्यनाथ ने विषमुक्त खेती और प्राकृतिक खेती को भविष्य के लिए आवश्यक बताया। प्राकृतिक खेती के माध्यम से न केवल लागत को कम किया जा सकता है, बल्कि भूमि की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता भी बेहतर होती है। उत्तर प्रदेश में सवा लाख एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती हो रही है, और इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ठोस योजनाएं बनाई हैं। इसके साथ ही, सोलर पैनल से ट्यूबवेल को जोड़ने, नलकूपों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने, और आधुनिक तकनीकों को अपनाने पर भी जोर दिया गया है। सरकार का लक्ष्य किसानों की आय को दोगुना करना है। इसके लिए लागत घटाने और उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
गन्ना किसानों को 2017 से अब तक 2.61 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जो 1996 से 2017 तक की तुलना में कहीं अधिक है। डबल इंजन की सरकार ने 23 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा दी है। 14 लाख निजी नलकूपों को मुफ्त बिजली दी जा रही है, जिससे किसानों को सालाना 2-2.5 हजार करोड़ रुपये की बचत हो रही है।
इस कार्यक्रम में सरकार ने न केवल योजनाओं की जानकारी दी, बल्कि किसानों से सीधा संवाद कर उनकी समस्याओं और सुझावों को भी प्राथमिकता दी। यह संवाद सरकार और किसानों के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ाता है।
चौधरी चरण सिंह का सपना था कि किसान आत्मनिर्भर बने और भारत कृषि क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके आदर्शों को अपने कार्यों में ढालकर यह साबित किया है कि सरकार किसानों की उन्नति के लिए प्रतिबद्ध है।
किसान सम्मान दिवस पर मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए संदेश और उठाए गए कदम स्पष्ट रूप से यह दिखाते हैं कि सरकार किसानों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है। चौधरी चरण सिंह की विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश की डबल इंजन सरकार ने किसानों की समृद्धि के लिए ठोस प्रयास किए हैं।
किसानों को तकनीक, नवाचार और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यह पहल केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक मॉडल के रूप में पूरे देश के लिए प्रेरणा है।
यदि इसी गति और दिशा में प्रयास जारी रहे, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत न केवल खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा, बल्कि वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था का नेतृत्व भी करेगा। चौधरी चरण सिंह की जयंती पर आयोजित यह कार्यक्रम एक मील का पत्थर साबित होगा, जो किसानों के सम्मान और समृद्धि की दिशा में नई उम्मीदें लेकर आएगा।