आचार्य प्रभाकर द्विवेदी
अक्सर सबने सुना है कि बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जीवन में चार पैसे (Paise) का बड़ा महत्व होता है। शायद इसीलिए कहते हैं कि इंसान चार पैसे कमाने के लिए मेहनत करता है। आचार्य प्रभाकर द्विवेदी की क़लम कहती हैं कि आखिर क्यों चाहिए हमें चार पैसे और चार ही क्यों तीन या पांच कर्मों नहीं.?
तो आइये समझते हैं चार पैसे का महत्व और इसके गणितीय समीकरण को – पहला पैसा है भोजन अर्थात अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करना। दूसरा पैसा है पिछला कर्ज उतारना अर्थात माता-पिता की सेवा के लिए उनके द्वारा किए गए हमारे पालन-पोषण का कर्ज उतारना इसे हम अपना कर्त्तव्य पालन भी कह सकते हैं, क्योंकि माता-पिता ने ही हमारी परवरिश कर हमें इस मुकाम तक पहुंचाया है उनकी सेवा करना हमारा उत्तरदायित्व है। तीसरा पैसा है आगे कर्ज देना यानी कि संतान को पढ़ा लिखाकर काबिल बनाना ताकि व्रद्धावस्था में वे हमारा ख्याल रख सकें। चौथा पैसे का अर्थ है कुएं में डालना अर्थात शुभ कार्यों के लिए, दान-पुण्य के लिए है इसलिए ही हमें चार पैसे की जरूरत पड़ती है।
यदि तीन पैसे रह गए तो हम चौथे कार्य से वंचित रह जाएंगे और पांचवें पैसे की हमें बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है, यही चार पैसे का गणितीय समीकरण है। आचार्य प्रभाकर द्विवेदी जी की क़लम कहती है – कि यदि हम सभी लोग इसी कांसेप्ट पर चलते रहे तो हमें कुछ अतिरिक्त करने की आवश्यकता नहीं है..!!