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Sunday, June 22, 2025

‘एक देश, एक चुनाव’ बिल कैबिनेट से पास, जल्द संसद में हो सकता है पेश

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नई दिल्ली। एक देश, एक चुनाव (One Nation One Election) के विधेयक को गुरुवार को मोदी सरकार ने कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे दी है। सूत्रों ने बताया कि अब सरकार इस बिल को सदन के पटल पर रख सकती है। ये विधेयक अगले सप्ताह इसी शीतकालीन सत्र में लाए जाने की संभावना है। सबसे पहले जेपीसी की कमेटी का गठन किया जाएगा और सभी दलों के सुझाव लिए जाएंगे। अंत में यह विधेयक संसद में बिल लाया जाएगा और इसे पास करवाया जाएगा। इससे पहले रामनाथ कोविंद की कमेटी ने सरकार को एक देश, एक चुनाव से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

सूत्रों का कहना है कि लंबी चर्चा और आम सहमति बनाने के लिए सरकार इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने की योजना बना रही है। जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा करेगी और इस प्रस्ताव पर सामूहिक सहमति की जरूरत पर जोर देगी। देश में अभी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। यह विधेयक कानून बनने के बाद देश में एक साथ चुनाव कराए जाने की तैयारी है।

हालांकि, इस सरकार के इस कदम का कांग्रेस और आप जैसी कई इंडिया ब्लॉक की पार्टियों ने विरोध किया है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इससे केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा होगा। नीतीश कुमार की जेडीयू और चिराग पासवान जैसे प्रमुख एनडीए सहयोगियों ने एक साथ चुनाव कराए जाने का समर्थन किया है।

जानें क्या है सरकार की तैयारी?

सूत्रों ने बताया कि सभी राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों को बुद्धिजीवियों, विशेषज्ञों और सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ अपने विचार साझा करने के लिए कहा जाएगा। इसके अतिरिक्त, आम जनता से भी सुझाव मांगे जाएंगे, जो निर्णय लेने की प्रक्रिया में समावेशिता और पारदर्शिता को बढ़ाएंगे। विधेयक के प्रमुख पहलुओं में इसके लाभ और देशभर में एक साथ चुनाव कराने के लिए जरूरी कार्यप्रणाली पर विचार-विमर्श किया जाएगा। संभावित चुनौतियों का समाधान किया जाएगा और विविध दृष्टिकोणों को एकत्रित किया जाएगा।

‘एक देश, एक चुनाव’ को बार-बार होने वाले चुनावों से जुड़ी लागत और व्यवधानों को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि सरकार चाहती है कि इस विधेयक को लेकर व्यापक समर्थन हासिल किया जाए। हालांकि, इस प्रस्ताव पर राजनीतिक बहस भी बढ़ सकती है। विपक्षी दल इसकी व्यवहार्यता के बारे में सवाल उठा सकते हैं।

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