यूथ इंडिया संवाददाता
अमृतपुर, फर्रुखाबाद। स्वास्थ्य समस्याओं के निराकरण के लिए प्रदेश और देश की सरकार लाख दावे कर ले एवं स्वास्थ्य केन्द्रों में कितनी भी सुविधा उपलब्ध करा दे। डॉक्टरों की तैनाती से लेकर उपकरण व्यवस्था सुचारू कर दे फिर भी गरीब मरीजों को समस्याओं से दो-चार होना ही पड़ता है।
इन मरीजों की उपेक्षा लगातार की जाती है और हमेशा की जाती रहेगी। क्योंकि उनके समाधान के लिए ना तो किसी टीम को नियुक्त किया गया है और ना ही उनकी समस्याओं की जड़ तक पहुंचने के लिए किसी विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारी अपनी जिम्मेदारी सही से निभाने में असमर्थ दिखाई देते हैं। राजेपुर स्वास्थ्य केंद्र ने लापरवाही की जो मिसाल पेश की है वह अब किसी से छुप नहीं पाएगी। लाचार बेबस और शिथिल मरीजों के लिए स्वास्थ्य केंद्र और अस्पतालों में स्टेचर एवं चेयर की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है। परंतु इस स्वास्थ्य केंद्र पर एक परिजन अपने बीमार मरीज को कंधे पर लाद कर अस्पताल ले जाता हुआ दिखाई दे रहा है।
अगर स्टेचर की व्यवस्था होती या वहां के स्वास्थ्य कर्मी सजग होते तो उस लाचार मरीज को स्टेचर अथवा कुर्सी पर डॉक्टर के पास तक पहुंचाया जाता। परंतु ऐसा नहीं हो सका। जिससे साफ जाहिर होता है कि अस्पताल में डॉक्टर और उनके स्टाफ की लापरवाही लगातार बढ़ती जा रही है। गंगा पार क्षेत्र बाढ़ की समस्याओं के चलते कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओ से जूझ रहा है। जिसके कारण इस क्षेत्र में अनेकों मरीज ऐसे हैं जो चलने फिरने में असमर्थ है। गरीबी लाचारी और बेबसी के चलते यह मरीज महंगे अस्पतालों में अपना इलाज नहीं करा पाते। जिसके कारण यह सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में पहुंचते हैं और यह आस लेकर जाते हैं कि उनका सही इलाज हो पाएगा। परंतु जो अस्पताल खुद बीमार हो वह मरीज का इलाज क्या कर पाएगा।