फर्रुखाबाद, जहानगंज। अहमदपुर देवरिया गांव में पंचायत घर के निर्माण को लेकर विवादित मामला अब उच्च न्यायालय पहुंच चुका है। ग्रामीणों द्वारा कब्रिस्तान की जमीन पर पंचायत घर का निर्माण किए जाने का विरोध करते हुए एक जनहित याचिका (क्कढ्ढरु) दाखिल की गई है, जिसमें राजस्व कर्मियों की साठ-गांठ और बीडीओ (ब्लॉक विकास अधिकारी) पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय में होने जा रही है।
ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत घर के निर्माण के लिए गांव के कब्रिस्तान की जमीन का गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। उनका कहना है कि इस जमीन पर पहले से ही मुस्लिम समुदाय द्वारा अंतिम संस्कारों के लिए उपयोग किया जाता रहा है। इसके बावजूद, राजस्व कर्मियों और बीडीओ के मिलीभगत से पंचायत घर का निर्माण शुरू किया गया, जो कि गैरकानूनी और धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन है।
ग्रामीणों ने बीडीओ और राजस्व विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने भ्रष्टाचार और अवैध लेन-देन के माध्यम से कब्रिस्तान की जमीन को पंचायत घर के लिए आरक्षित करवा लिया है। आरोप यह भी है कि इस काम के लिए कोई उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, और जबरन निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। भाजपा नेता अरविंद कटियार ने ग्रामीणों संग इस अवैध निर्माण को रुकवाने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका की है।
यह मामला अब जनहित याचिका के रूप में उच्च न्यायालय में पहुंच चुका है, जहां इसकी सुनवाई जल्द ही होगी। अदालत इस बात की जांच करेगी कि कब्रिस्तान की जमीन का उपयोग पंचायत घर के निर्माण के लिए किया जाना कानूनी है या नहीं, और क्या इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार या नियमों का उल्लंघन हुआ है।
प्रशासन ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, उच्च न्यायालय की सुनवाई तक निर्माण कार्य रोक दिया गया है। पंचायत अधिकारियों ने दावा किया कि निर्माण कार्य कानूनी तरीके से हो रहा है, और इसका उद्देश्य गांव के विकास में योगदान देना है। हालांकि, ग्रामीणों ने इस दावे को खारिज कर दिया है और इसे सामाजिक असंवेदनशीलता का मामला बताया है।