यूथ इंडिया, एजेंसी। बोधना शिवनंदन, एक 9 साल की भारतीय मूल की ब्रिटिश बच्ची, ने बुडापेस्ट चेस ओलंपियाड के लिए इंग्लैंड की ओर से क्वालिफाई कर इतिहास रच दिया है। वह इंग्लैंड की ओर से हाई लेवल पर चेस खेलने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बन गई है।
कैसे शुरू हुआ बोधना का चेस सफर
बोधना का चेस के प्रति रुझान 2020 में शुरू हुआ जब दुनिया महामारी से जूझ रही थी। बोधना के पिता शिवनंदन वेलायुधम, जो लंदन में एक इंजीनियर हैं, के दोस्त को अचानक भारत लौटना पड़ा और वह अपना सामान लंदन में छोड़ गए। इसी सामान में एक चेस बोर्ड भी था। बोधना को इस बोर्ड से ठोकर लगी और उसकी जिज्ञासा ने उसे चेस के प्रति आकर्षित कर दिया। उसने यूट्यूब और ऑनलाइन चेस खेलकर चेस की बारीकियां सीखीं और धीरे-धीरे अपने पिता को हराने लगी।
बोधना का खेल
इंग्लिश चेस फेडरेशन के इंटरनेशनल चेस के डायरेक्टर मैल्कम पेन बोधना को टीम की सबसे कम उम्र की प्लेयर कहते हैं। बोधना को पोजिशनल प्लेयर कहा जाता है क्योंकि वह मोहरों की स्थिति पर गहरी जानकारी रखती है और धैर्यपूर्वक हर चाल चलती है। इंग्लैंड के इंटरनेशनल मास्टर चेस प्लेयर लरिंस ट्रेंट को बोधना पर यकीन है कि वह एक ग्रेट प्लेयर बनेगी।
उपलब्धियां
बोधना ने पिछले दिसंबर में यूरोपीय ब्लिट्ज चेस चैंपियनशिप में महिला प्लेयर्स को हराया और हाल ही में उसे फिडे मास्टर के तौर पर रैंक किया गया है। यह इंटरनेशनल चेस फेडरेशन द्वारा दी जाने वाली उपाधि है।
भविष्य की योजनाएं
बोधना के पास 3 साल का समय है अपने पहले लक्ष्य को हासिल करने के लिए। उसके आदर्श, क्यूबा के दिवंगत प्लेयर जोस राउल कैपब्लांका के गेम्स देखना उसे पसंद है। बोधना के पिता का कहना है कि उनसे कोई अपेक्षा नहीं है और वे चाहते हैं कि बोधना अपने माइलस्टोन खुद तय करे।
निष्कर्ष
बोधना शिवनंदन की कहानी प्रेरणादायक है और उसने यह साबित किया है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है। उसकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया है और वह भविष्य में भी बड़ी उपलब्धियाँ हासिल कर सकती है।