यूथ इंडिया (प्रशांत कटियार)
फर्रुखाबाद। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत जिले में विकास कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो गए हैं। श्रमिकों के भुगतान के लिए निधि न आने के कारण जिले के विभिन्न विकास कार्य ठप पड़े हैं। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण रुक गया है, बल्कि हजारों श्रमिकों को रोजगार से भी वंचित होना पड़ा है।
आंकड़ों की स्थिति:
जिले में मनरेगा के अंतर्गत लगभग 1.5 लाख श्रमिक पंजीकृत हैं। इनमें से 75,000 से अधिक श्रमिकों को नियमित रूप से काम मिल रहा था। लेकिन हाल ही में फंड की कमी के कारण कई परियोजनाएं बंद हो गई हैं, जिससे श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर कम हो गए हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में अब तक लगभग 50 करोड़ रुपये की आवश्यकता थी, लेकिन सरकार की ओर से केवल 20 करोड़ रुपये ही जारी किए गए हैं। इससे लगभग 30 करोड़ रुपये का फंड गैप हो गया है।
*प्रभावित विकास कार्य:
– ग्रामीण सडक़ें: 20 किलोमीटर लंबी सडक़ परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं।
– तालाबों का निर्माण: 15 नए तालाबों का काम बंद है, जो जल संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थे।
– पंचायत भवन: 10 पंचायत भवनों का निर्माण रुक गया है, जिससे ग्रामीण प्रशासन में बाधा आ रही है।
गांवों में काम न मिलने से श्रमिकों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। कई श्रमिकों को पिछले 3 महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनके परिवारों की आजीविका संकट में आ गई है। एक श्रमिक रामेश्वर ने बताया, हमारे पास अब न काम है और न ही घर में खाने को कुछ बचा है। सरकार को हमारी सुध लेनी चाहिए।
जिला प्रशासन ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है। जिलाधिकारी का कहना है कि फंड की मांग राज्य सरकार से की गई है, और जल्द ही इसे हल करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अधिकारियों के साथ बैठक कर प्राथमिकता के आधार पर परियोजनाओं को फिर से शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। मनरेगा का फंड न आने से जिले में विकास कार्यों की रफ्तार रुक गई है और श्रमिकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। प्रशासन और सरकार को मिलकर इस दिशा में त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है।