– देशी नस्लों के संवर्धन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने पर दिया जोर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को राजधानी लखनऊ में आयोजित महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यशाला ‘भारत में पशु नस्लों का विकास’ का विधिवत शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम का आयोजन पशुपालन एवं दुग्ध विकास विभाग द्वारा किया गया, जिसमें देशभर से आए वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों, पशुपालकों और विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया।
कार्यशाला का उद्देश्य देश की परंपरागत देशी पशु नस्लों के संरक्षण, संवर्धन और उनकी उत्पादकता में वृद्धि को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सरकारी नीतियों पर व्यापक संवाद स्थापित करना था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि भारत सदियों से समृद्ध पशुधन परंपरा का धनी रहा है। हमारी देशी नस्लें न केवल जलवायु के अनुकूल हैं, बल्कि उनके दुग्ध उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और कृषि सहयोगी भूमिका के कारण वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन गई हैं।
“हमारे देश की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि और पशुपालन रहा है। यदि हम देसी नस्लों का वैज्ञानिक रूप से संरक्षण और संवर्धन करें, तो यह न केवल आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सशक्त करेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार भी सृजित करेगा,” — मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर पशुपालन क्षेत्र को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में निरंतर काम कर रही हैं। नस्ल सुधार कार्यक्रम, कृत्रिम गर्भाधान योजना, टीकाकरण अभियान और पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार इसी का प्रमाण है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने पशुपालन विभाग की विभिन्न योजनाओं और उनके क्रियान्वयन की समीक्षा की। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे पशुपालकों को आधुनिक तकनीकों से प्रशिक्षित करें, और उन्हें सरकार की योजनाओं का प्रत्यक्ष लाभ देने में पारदर्शिता सुनिश्चित करें।
कार्यशाला में यह भी बताया गया कि उत्तर प्रदेश में गिर, साहिवाल, थारपारकर जैसी देशी नस्लों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इन नस्लों के संरक्षण और उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार प्रदेश भर में नस्ल सुधार केंद्र और ब्रीडिंग फॉर्म स्थापित कर रही है।
कार्यशाला में मौजूद देशभर के पशु वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों ने वर्तमान चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डाला। विशेषज्ञों ने कहा कि यदि देशी नस्लों की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी और जीनोमिक चयन जैसे उपाय अपनाए जाएं, तो भारत न केवल दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि जैविक डेयरी उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार में भी अपनी जगह बना सकेगा।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन के अंत में प्रदेश के युवाओं और पशुपालकों से आह्वान किया कि वे पशुपालन को केवल परंपरा न समझें, बल्कि इसे वैज्ञानिक और उद्यमशीलता की दृष्टि से अपनाएं। सरकार उनके साथ हर कदम पर खड़ी है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए संकल्पित है।