फर्रुखाबाद। सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, श्यामनगर, फर्रुखाबाद में चल रहे नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के चौथे दिन का आयोजन शैक्षणिक उन्नयन और नैतिक मूल्यों को समर्पित रहा। इस अवसर पर विद्यालय के प्रांगण में दो प्रमुख सत्र आयोजित किए गए, जिनमें शिक्षकों की भूमिका और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के विषयों पर गहन विमर्श हुआ।
प्रशिक्षण सत्र की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन के साथ की गई, जिसमें श्री अयोध्या प्रसाद मिश्रा (प्रदेश निरीक्षक), श्री जवाहर लाल वर्मा (प्रबंधक) एवं श्री रामकृष्ण बाजपेई (प्रधानाचार्य) ने सहभागिता की। सभी अतिथियों ने आचार्य निर्माण की दिशा में ऐसे प्रशिक्षण वर्गों की आवश्यकता को रेखांकित किया.
प्रथम सैद्धान्तिक सत्र का संचालन प्रदेश निरीक्षक श्री अयोध्या प्रसाद मिश्रा जी ने किया। उन्होंने पंचकोषीय विकास प्रणाली — अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय एवं आनन्दमय कोश — की वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक विवेचना की। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए पाँच ज्ञानेन्द्रियों एवं पाँच कर्मेन्द्रियों के संतुलन को साधना आवश्यक है।
उन्होंने पाँच आधारभूत विषयों — योग शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, संगीत शिक्षा, संस्कृत शिक्षा एवं नैतिक शिक्षा — की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इन विषयों से न केवल अनुशासन और चारित्रिक निर्माण होता है, बल्कि विद्यार्थी में आत्मविश्वास, अभिव्यक्ति क्षमता और संस्कृति के प्रति सम्मान की भावना भी विकसित होती है।
द्वितीय सत्र में श्री अयोध्या प्रसाद मिश्रा जी ने “विद्यालय विकास में आचार्य की भूमिका” विषय पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आचार्य केवल एक शिक्षक नहीं, बल्कि शैक्षिक नेतृत्वकर्ता होता है। उसकी भूमिका गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, अनुशासन बनाए रखने, समयपालन, नवाचार, अभिभावकों से संवाद तथा विद्यालय में संस्कारमय वातावरण निर्माण की होती है।
उन्होंने पंचपदीय शिक्षण पद्धति — अधीति (पूर्वज्ञान), बोध (समझ), अभ्यास, प्रयोग और प्रसार — के माध्यम से छात्रों के समग्र विकास की प्रक्रिया को समझाया। उन्होंने कहा कि यह पद्धति विद्यार्थियों में आत्मनिर्भरता, रचनात्मकता और उत्तरदायित्व की भावना विकसित करती है।
सत्र में अजय द्विवेदी (संभाग निरीक्षक, कानपुर), शिवकरण जी (संभाग निरीक्षक, बांदा), शिवसिंह जी (प्रांत सेवा प्रमुख), बलराम सिंह (प्रधानाचार्य), आशीष दीक्षित, रत्नेश अवस्थी, श्रीनारायण मिश्र सहित अनेक वरिष्ठ आचार्य एवं प्रधानाचार्य उपस्थित रहे।