– जिला गंगा समिति के तत्वावधान में हुआ भव्य आयोजन, योगाचार्य ने कराए विविध योगासन, गंगा एवं पर्यावरण संरक्षण की दिलाई शपथ
फर्रुखाबाद। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जिला गंगा समिति के तत्वावधान में पांचाल घाट स्थित पतित पावनी मां गंगा के पावन तट पर भव्य योगाभ्यास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष सुश्री मोनिका यादव रहीं।
अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में सुश्री मोनिका यादव ने कहा कि “योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य का ही साधन नहीं है, बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति का स्रोत भी है। जिस प्रकार भोजन हमारे शरीर की आवश्यकता है, उसी प्रकार योग भी आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने दिन की शुरुआत योगाभ्यास से करनी चाहिए।”
प्रभा संस्था के निदेशक राजीव कुमार ने कहा कि योग के नियमित अभ्यास से कई प्रकार की बीमारियां दूर रहती हैं और यह प्राकृतिक उपचार का सर्वोत्तम माध्यम है। वहीं ग्राम विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक श्री कपिल कुमार ने कहा, “योग शरीर में एक विशेष ऊर्जा का संचार करता है, जिससे हम मानसिक एवं शारीरिक रूप से सशक्त बनते हैं।”
जिला परियोजना अधिकारी श्रीमती निहारिका पटेल ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 की थीम “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” का संदेश देते हुए कहा, “जब हम स्वयं स्वस्थ रहेंगे, तभी हम अपनी पृथ्वी और पर्यावरण को भी स्वस्थ एवं संरक्षित रख सकेंगे।”
इस अवसर पर योगाचार्य श्री प्रदीप नारायण शुक्ल द्वारा प्रतिभागियों को अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, ताड़ासन, वृक्षासन, त्रिकोणासन, सूर्य नमस्कार, कपालभाति और अर्ध चक्रासन सहित कई योगासनों का अभ्यास कराया गया। उन्होंने सभी को प्रतिदिन योग करने, स्वच्छ भोजन करने तथा स्वस्थ जीवनशैली अपनाने हेतु प्रेरित किया।
कार्यक्रम में नमामि गंगे की टीम, एनसीसी कैडेट्स, आयुष विभाग के अधिकारीगण, गणमान्य अतिथि एवं बड़ी संख्या में नागरिकों की उपस्थिति रही।
प्रमुख रूप से सर्वेश सिंह (आयुष विभाग), सुरेंद्र सिंह,कर्नल सूबेदार बलवीर सिंह (एनसीसी), अमृतपाल सिंहप्रशिक्षक रोहित दीक्षित गंगा योद्धा: सुमित कुमार, विकास कुमार, हिमांशु, घनश्याम, पल्लवी, अभय, अंशिका व अन्य लोग मौजूद रहे।
अंत में सभी प्रतिभागियों को गंगा एवं पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाई गई, जिससे यह कार्यक्रम केवल योग तक सीमित न रहकर समाज और प्रकृति के संरक्षण का संदेश भी बन गया।