कानपुर। लंबे समय से चल रहा डीएम और सीएमओ विवाद आखिरकार सीएम योगी आदित्यनाथ की सख्त कार्रवाई पर खत्म हुआ। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और कई भाजपा विधायकों की सिफारिशों के बावजूद मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरीदत्त नेमी को सस्पेंड कर दिया गया। उनकी जगह डॉ. उदयनाथ को नया मुख्य चिकित्सा अधिकारी बनाया गया है।
इस विवाद को लेकर भाजपा में जबरदस्त खेमेबाजी देखने को मिली। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, विधायक सुरेंद्र मैथानी और एमएलसी अरुण पाठक ने नेमी के समर्थन में पत्र लिखे थे और उनका ट्रांसफर रोकने की सिफारिश की थी।
इन नेताओं ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को व्यक्तिगत तौर पर पत्र भेजकर कहा था कि डॉ. नेमी का व्यवहार और कामकाज अच्छा है। बावजूद इसके, सरकार ने सभी सिफारिशों को दरकिनार कर कार्रवाई की।5 फरवरी को डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने सी एम ओ कार्यालय में छापा मारा था। निरीक्षण में 34 कर्मचारी और खुद सी एम ओ अनुपस्थित मिले थे। इसके बाद डीएम और सीएमओ के बीच लगातार टकराव बढ़ता गया।
सीएमओ पर भ्रष्टाचार और नियमों के विरुद्ध काम करने के आरोप लगे, जबकि सीएमओ ने खुद को साजिश का शिकार बताया और एक चार्जशीटेड फर्म का पेमेंट रोकने की बात कही।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम के बीच की खींचतान बताया। उन्होंने कहा कि डबल इंजन सरकार के दोनों इंजन अब आपस में टकरा रहे हैं। कांग्रेस ने भी राज्यपाल को पत्र भेजकर इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की। डॉ. उदयनाथ ने कानपुर के नए सीएमओ का कार्यभार संभाल लिया है। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि सीएम योगी ने साफ संदेश दे दिया है कि अनुशासनहीनता और गुटबाजी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे पैरवी किसी की भी हो।
सीएमओ हरिदत्त नेमी का निलंबन केवल एक अफसर पर कार्रवाई नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री योगी की प्रशासनिक सख्ती और BJP के भीतर चल रही खेमेबाजी पर करारा संदेश है। विधानसभा अध्यक्ष समेत कई बड़े नेताओं की सिफारिशों के बावजूद फैसला लिया गया, जिसने दिखा दिया कि कानून और जवाबदेही के सामने कोई राजनीतिक प्रभाव नहीं चलेगा।