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Tuesday, June 10, 2025

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य कर विभाग की समीक्षा बैठक में दिए निर्देश: “कर संग्रह में पारदर्शिता और प्रवर्तन में हो सख्ती”

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लखनऊ | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को अपने सरकारी आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य कर विभाग के कार्यों की विस्तृत समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को कर संग्रह में पारदर्शिता, तकनीकी दक्षता और प्रभावी प्रवर्तन की नीति अपनाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कर चोरी एक राष्ट्रीय अपराध है, जिससे न केवल राज्य के राजस्व को क्षति पहुंचती है, बल्कि विकास योजनाओं और जनकल्याणकारी कार्यक्रमों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कर चोरी का कृत्य ईमानदार व्यापारियों के अधिकारों में सेंध लगाने जैसा है।

मुख्यमंत्री ने शेल कंपनियों और अवैध रूप से पंजीकृत फर्मों के खिलाफ सघन अभियान चलाकर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा:

SGST के अंतर्गत पंजीकृत सभी नई फर्मों का स्थलीय निरीक्षण अनिवार्य किया जाए। संदिग्ध फर्मों की जांच कर पंजीकरण रद्द किया जाए और एफआईआर दर्ज की जाए।

CGST के संदिग्ध पंजीकरणों की जानकारी केंद्र को भेजी जाए।
अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ₹1,75,725 करोड़ के निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष अप्रैल-मई में अब तक ₹18,161.59 करोड़ GST और VAT संग्रहित किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने इसे सराहनीय बताते हुए लक्ष्य प्राप्ति की गति तेज करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री योगी ने जिन 14 ज़ोन में 60% या उससे अधिक लक्ष्य प्राप्ति हुई है, जैसे लखनऊ, अयोध्या, आगरा, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मेरठ, झांसी और सहारनपुर, उनकी सराहना की।

वहीं, वाराणसी जोन प्रथम, प्रयागराज, कानपुर जोन द्वितीय, इटावा, अलीगढ़ और मुरादाबाद जैसे क्षेत्रों में 50% से कम कर संग्रह पर चिंता व्यक्त करते हुए विशेष समीक्षा और रिपोर्ट की मांग की।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे व्यापारियों से सीधा संवाद स्थापित करें ताकि विश्वास, सहयोग और अनुपालन की भावना विकसित हो सके। उन्होंने कहा,

“राजस्व केवल आंकड़ा नहीं, यह राज्य के विकास की आधारशिला है। प्रत्येक अधिकारी को अपनी भूमिका जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से निभानी चाहिए।”

कम कर संग्रह वाले ज़िलों की विशेष रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी जाएगी।
फील्ड एक्सपर्ट्स के साथ रिपोर्ट का विश्लेषण कर नई रणनीति बनाई जाएगी।
विभागीय अधिकारी नवाचार, प्रौद्योगिकी और संवाद आधारित कर प्रशासन पर ज़ोर देंगे।

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