यूथ इंडिया स्पेशल रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर मजबूती का संकेत दिया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के मई माह तक राज्य सरकार को कर व करेतर (गैर-कर) राजस्व मदों से कुल ₹35,563.74 करोड़ की राजस्व प्राप्ति हुई है। यह आंकड़ा मई 2024 तक की तुलना में ₹1052.10 करोड़ अधिक है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लागू वित्तीय अनुशासन और राजस्व सुधारों का परिणाम बताया है।
मई 2025 तक प्राप्त हुए कुल ₹35,563.74 करोड़ में राज्य के प्रमुख कर और करेतर मद शामिल हैं। पिछले वर्ष इसी अवधि में यह राशि ₹34,511.64 करोड़ थी। यानी एक साल में करीब 3.05% की वृद्धि दर्ज की गई है।
वित्तीय वर्ष राजस्व प्राप्ति (₹ करोड़)
मई 2024 34,511.64
मई 2025 35,563.74
वृद्धि +1052.10 हुई है।
राज्य सरकार को सर्वाधिक आय जिन विभागों से प्राप्त हुई, उनमें प्रमुख रूप से
वाणिज्य कर (जीएसटी), आबकारी विभाग, स्टांप और पंजीकरण शुल्क, खनन एवं परिवहन शुल्क, विद्युत कर एवं जल कर, करेतर आय में – राज्य संपत्ति, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन सेवाएं आदि शामिल हैं।
वित्त मंत्री ने बताया कि डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम, रीयल टाइम टैक्स मॉनिटरिंग और पारदर्शी नीति के चलते टैक्स चोरी पर प्रभावी नियंत्रण हुआ है।
“हमारा लक्ष्य केवल राजस्व वृद्धि नहीं, बल्कि जनहित में अधिक से अधिक संसाधन जुटाना है। राजस्व में यह बढ़ोतरी इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश सरकार की नीतियां मजबूत हैं और जनता का भरोसा कायम है।”
– सुरेश खन्ना, वित्त मंत्री, उत्तर प्रदेश
राजस्व में हुई इस बढ़ोतरी से प्रदेश सरकार को जनकल्याणकारी योजनाओं और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
विशेष रूप से:
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी एवं ग्रामीण)
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना
मुफ्त टैबलेट/स्मार्टफोन योजना
एक्सप्रेसवे और औद्योगिक कॉरिडोर परियोजनाएं शामिल हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर प्रदेश का यह आर्थिक प्रदर्शन राष्ट्रीय स्तर पर भी उदाहरण बन सकता है। पिछले कुछ वर्षों में बजट प्रबंधन, ई-गवर्नेंस और पारदर्शी निविदा प्रक्रिया के कारण सरकार की आमदनी और खर्च दोनों ही नियंत्रित तरीके से बढ़े हैं।
राज्य सरकार की वित्तीय नीतियों और राजस्व प्रबंधन के मामले में यह वृद्धि बेहद सकारात्मक संकेत है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना द्वारा पेश की गई यह रिपोर्ट प्रदेश की आर्थिक सुदृढ़ता की पुष्टि करती है और आने वाले समय में यूपी के विकास मॉडल को और मजबूती प्रदान करेगी।