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Sunday, June 1, 2025

मंत्री सुरेश खन्ना के खिलाफ याचिका की सुनवाई में बड़ा हंगामा, कथावाचक कौशल किशोर ठाकुर और अधिवक्ता पर कोर्ट परिसर में जानलेवा हमला

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                            – कोर्ट की गरिमा तार-तार, न्यायपालिका की सुरक्षा पर सवाल –

लखनऊ: वृंदावन (Vrindavan) स्थित एक प्रतिष्ठित आश्रम पर अवैध कब्जे, भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से जुड़े मामले में वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना (Minister Suresh Khanna) के खिलाफ दायर याचिका की एमपी-एमएलए कोर्ट (MP-MLA Court) में सुनवाई के दौरान बुधवार को जबरदस्त हंगामा हो गया। कथावाचक और याचिकाकर्ता कौशल किशोर ठाकुर और उनके अधिवक्ता पर कोर्ट परिसर में ही जानलेवा हमला कर दिया गया। इस घटना ने न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

कथावाचक कौशल किशोर ठाकुर ने आरोप लगाया है कि वृंदावन के एक प्रतिष्ठित आश्रम पर अवैध कब्जे का मामला न केवल भूमाफियाओं से जुड़ा है, बल्कि इसमें भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों और कुछ प्रभावशाली नेताओं की भूमिका भी संदिग्ध है। ठाकुर का दावा है कि इस पूरे प्रकरण में वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना की भूमिका पर भी सवाल हैं, जिसको लेकर उन्होंने न्यायालय में याचिका दायर की थी।

बुधवार को जब इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए की विशेष अदालत में शुरू हुई, तब सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता रीना सिंह विशेष रूप से दिल्ली से पेशी के लिए पहुंचीं। लेकिन सुनवाई के दौरान ही मंत्री के पक्ष में खड़े एक शासकीय अधिवक्ता (एपीओ) ने कथित तौर पर बहस को भटकाने और दबाव बनाने की कोशिश की। याचिकाकर्ता पक्ष का आरोप है कि शासकीय अधिवक्ता ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया और फिर अपने साथ लाए दर्जनों गुंडों को इशारा कर कोर्ट परिसर में हमला करवा दिया।

कौशल किशोर ठाकुर ने बताया कि जैसे ही वे कोर्ट परिसर से बाहर निकले, उन पर हमला कर दिया गया। हमलावरों ने ना सिर्फ शारीरिक हमला किया, बल्कि जान से मारने की धमकी भी दी। याचिकाकर्ता ने थाना सदर पुलिस को इस घटना की लिखित शिकायत दी है, जिसमें उन्होंने मंत्री खन्ना के समर्थकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

कौशल ठाकुर ने यह भी खुलासा किया कि इससे पहले भी उन्हें मंत्री खन्ना के कथित गुर्गों से जान से मारने की धमकी मिल चुकी है। इसकी भी उन्होंने प्रशासन से शिकायत की थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा – “अगर कोर्ट परिसर में ही याचिकाकर्ता और अधिवक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो सकती, तो फिर आम जनता कैसे न्याय की उम्मीद कर सकती है?”

सवाल उठ रहे हैं…आखिर कोर्ट जैसी संवेदनशील जगह पर यह हमला कैसे हुआ?
क्या मंत्री के प्रभाव में आकर न्याय प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश हो रही है?
पुलिस और प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करेंगे या फिर मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा?

थाना सदर के प्रभारी ने पुष्टि की है कि उन्हें लिखित तहरीर प्राप्त हुई है और मामले की जांच प्रारंभ कर दी गई है। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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