यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। राष्ट्रवादी विचारधारा की पताका लहराने वाले और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार श्री ब्रह्मदत्त अवस्थी जी का सोमवार सुबह 10 ,30 पर लखनऊ के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया। 85 वर्षीय अवस्थी जी ने अपने जीवनकाल में विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई और समाज को अपने साहित्य और विचारों से निरंतर प्रेरित किया। उनके निधन से न केवल साहित्यिक जगत बल्कि राष्ट्रवादी आंदोलन से जुड़े सभी लोगों में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके ज्येष्ठ पुत्र वरिष्ठ भाजपा नेता प्रभात अवस्थी ने जानकारी दी।
संघ के मजबूत स्तंभ और राम भक्त
श्री ब्रह्मदत्त अवस्थी जी संघ से दशकों से जुड़े हुए थे। उन्होंने संघ के कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाई, जिसमें अयोध्या आंदोलन प्रमुख रहा। राम जन्मभूमि मुक्ति के लिए किए गए संघर्षों में उनकी भागीदारी महत्वपूर्ण रही। वे सदैव राम के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने वाले व्यक्ति के रूप में पहचाने जाते थे।
साहित्यिक योगदान
अवस्थी जी ने हिंदी साहित्य में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने राष्ट्रवादी और सामाजिक मुद्दों पर कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें ‘राम राज्य का संकल्प’ और ‘संघ का संघर्ष’ आज भी संघ के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनकी लेखनी में सदैव देशप्रेम, धर्मनिष्ठा, और सामाजिक चेतना की झलक देखने को मिलती थी। साहित्य जगत में उन्हें एक मनीषी के रूप में जाना जाता था।
अवस्थी जी न केवल साहित्यकार थे, बल्कि वे एक समाजसेवी भी थे। वे कई वर्षों तक संघ की विभिन्न शाखाओं में कार्यरत रहे और समाज में युवाओं को प्रेरित करने का कार्य किया। उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक राष्ट्र निर्माण के कार्य में खुद को समर्पित रखा।
उनके आकस्मिक निधन की सूचना मिलते ही संघ परिवार, साहित्य जगत और उनके अनुयायियों में गहरा शोक फैल गया है। उनके निधन को देश के लिए अपूरणीय क्षति माना जा रहा है। संघ के वरिष्ठ नेताओं ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है। उनके करीबी मित्रों ने कहा, अवस्थी जी सदैव एक सच्चे राम भक्त और देशभक्त के रूप में जाने जाते रहेंगे। उनका जाना हमारे लिए व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर बड़ा नुकसान है। उनके अंतिम संस्कार का आयोजन पांचाल घाट स्थित भागीरथी के तट पर सोमवार शाम ही किए जाने की संभावना है,उनके पार्थिव शरीर को उनके भोलेपुर स्थित आवास पर लखनऊ से दोपहर बाद लाया जाएगा। जिसमें संघ के वरिष्ठ नेताओं, स्थानीय नागरिकों और साहित्यकारों के शामिल होने की संभावना है। उनके परिवार में उनके तीन पुत्र और दो पुत्रियाँ हैं, जो उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प ले रहे हैं।
श्री ब्रह्मदत्त अवस्थी जी का निधन न केवल राष्ट्रवादी विचारधारा के एक बड़े स्तंभ का अंत है, बल्कि यह साहित्यिक और सांस्कृतिक धारा में भी एक बड़ी क्षति है। उनके योगदानों को सदैव याद किया जाएगा, और उनकी विरासत आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।
उनकी यादों और आदर्शों को जीवंत रखने के लिए उनके अनुयायियों और परिवार ने कई सामाजिक और साहित्यिक कार्यक्रमों के आयोजन की घोषणा की है।