फर्रुखाबाद | प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ओमनिवास जटवारा जदीद सेवाकेंद्र पर आयोजित त्रिदिवसीय राजयोग शिविर का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया। शिविर के प्रथम दिन शिक्षा प्रणाली में मानवीय मूल्यों की अनिवार्यता पर विस्तृत चर्चा हुई, जिसमें वक्ताओं ने शिक्षा के साथ-साथ अध्यात्म के समावेश की आवश्यकता को रेखांकित किया।
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी शोभा दीदी ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “हमें ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है, जो न केवल ज्ञान दे, बल्कि हमारे मन, व्यवहार और चरित्र को भी शुद्ध बनाए। ऐसी शिक्षा जो दूसरों के दुखों को समझे और उन्हें दूर करने की प्रेरणा दे।” उन्होंने योग अभ्यास के समय और नैतिक शिक्षाओं के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
इटावा से जुड़ी बहन ज्योति ने ऑनलाइन संदेश में कहा, “परमपिता परमात्मा हमारे परमप्रिय शिक्षक हैं और उनकी शिक्षाएं हमें आदर्श विद्यार्थी और आदर्श नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित करती हैं।”
योगिनी सुदा बहन ने अपने वक्तव्य में कहा कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु नैतिक विज्ञान को अनिवार्य विषय बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के समय में केवल तकनीकी या सूचनात्मक शिक्षा पर्याप्त नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण की शिक्षा ज़रूरी है।
वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा, “शिक्षा सुधार को लेकर अनेक आयोग बने, संगोष्ठियां हुईं, लेकिन मूलभूत परिवर्तन आज भी अधूरे हैं। पाठ्यपुस्तकें मूल्य शिक्षा का दायित्व नहीं निभा सकतीं, इसके लिए ब्रह्माकुमारी जैसी संस्थाएं समाज को सहज और व्यावहारिक दिशा दे रही हैं।”
शिक्षक अजय कुमार ने शिक्षा के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि सूचनात्मक ज्ञान के स्थान पर आध्यात्मिक और नैतिक शक्ति के समावेश से ही बालकों का वास्तविक विकास संभव है। उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा दी जा रही सकारात्मक सोच और चरित्र निर्माण की दिशा को समाज के लिए अनुकरणीय बताया।
शिविर में राजयोग साधना, नैतिक ज्ञान और अनुभव आधारित शिक्षाओं का अभ्यास भी कराया गया। शोभा दीदी ने भरोसा दिलाया कि यह शिविर भाई-बहनों को अपने परिवार और समाज के लिए एक नई दिशा देगा।
पूनम बहन, एकता बहन, वर्षा बहन और खुशी बहन ने आयोजन की संपूर्ण व्यवस्था को संभाला और सभी व्यवस्थाओं को कुशलता से संपन्न किया।