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Tuesday, April 22, 2025

सांसद मुकेश राजपूत की बढ़ती ताकत – अब जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर नजर

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– जिला पंचायत बोर्ड बैठक में बीजेपी के किसी जनप्रतिनिधि का न रहना चर्चा का विषय
– जनपद की राजनीति में सांसद पूरी तरह प्रभावी

फर्रुखाबाद: जिले की राजनीति में सांसद मुकेश राजपूत की पकड़ और अधिक मजबूत होती दिख रही है। सूत्रों की मानें तो अब उनकी नजर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर है। सांसद ने पहले ही अपने भतीजे राहुल राजपूत को संगठन में प्रभावशाली भूमिका दिलाने के बाद अब अपने पुत्र अमित राजपूत को राजनीतिक रूप से स्थापित करने की रणनीति बनाई है। यह वही कुर्सी है जिससे सांसद ने अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी,उनकी पत्नी सौभाग्यवती भी आसीन रहीं, और अब वह इसे अपने परिवार में बनाए रखना चाहते हैं।

संगठन पर मजबूत पकड़, रणनीति का असर

राजनीति में दूरगामी सोच रखते हुए सांसद ने अपने करीबी फतेह चंद्र वर्मा को भाजपा का जिला अध्यक्ष बनवाया, ताकि पार्टी संगठन पर पूरी पकड़ बनाई जा सके। उनके भतीजे राहुल राजपूत भी जिलाध्यक्ष के साथ साए की तरह साथ दिखने के अलावा संगठन में लगातार सक्रिय नजर आ रहे हैं।

शनिवार को हुई जिला पंचायत बोर्ड की बैठक में किसी भी विधायक या सांसद का न आना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बैठक की तारीख पहले 10 मार्च को तय की गई थी, लेकिन जनप्रतिनिधियों की व्यस्तता के कारण इसे 16 मार्च को स्थगित किया गया। बैठक में किसी जनप्रतिनिधि का न आना एक बड़ी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

जिला पंचायत चुनाव में बीजेपी की रणनीति

चार साल पहले हुए जिला पंचायत चुनाव में भाजपा के केवल तीन सदस्य ही जीत पाए थे। सपा नेता सुबोध यादव का दबदबा था और उन्होंने अपने सदस्यों को आर्थिक रूप से भी मजबूत किया था। इस कारण भाजपा ने हार का खतरा देखते हुए पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह यादव की बेटी मोनिका यादव को समर्थन दिया था, जिससे मोनिका चुनाव जीत गईं।

बाद में 2022 के विधानसभा चुनावों में नरेंद्र सिंह यादव और उनके पुत्र सचिन यादव भाजपा में शामिल हो गए, साथ ही मोनिका यादव भी भाजपा की सदस्य बन गईं। सांसद मुकेश राजपूत ने ही मोनिका यादव को अध्यक्ष बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी।

वर्तमान परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी के पास कोई प्रभावशाली चेहरा नहीं है, जो जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए दमदारी से उतर सके। ऐसे में इस बार भाजपा के लिए यह चुनाव पहले की तुलना में आसान माना जा रहा है।

सांसद जातीय आधार पर भी भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। उनकी बिरादरी के लोग नीचे से ऊपर तक उन्हें पूरा समर्थन दे रहे हैं। हाल ही में वह लोधी क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बने हैं, जिससे उनकी गिनती अब भाजपा के बड़े नेताओं में होने लगी है।

भविष्य की रणनीति – परिवार को राजनीति में मजबूत करना

सूत्रों के अनुसार, सांसद अपने पुत्र अमित राजपूत को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए पूरी रणनीति बना चुके हैं। इससे पहले अमित राजपूत एक बार चुनाव हार चुके हैं, लेकिन इस बार परिस्थितियां भाजपा के पक्ष में हैं।
राजनीतिक समीकरणों को देखें तो,

भाजपा के तीन ही सदस्य जीते थे, लेकिन रणनीति से जीत हासिल हुई थी।इधर सपा नेता सुबोध यादव का दबदबा कमजोर पड़ चुका है।

नरेंद्र सिंह यादव और मोनिका यादव भाजपा में आ चुके हैं।जातीय समर्थन पूरी तरह से सांसद के पक्ष में है।
अब देखना यह होगा कि भाजपा सांसद मुकेश राजपूत अपनी इस रणनीति में कितना सफल हो पाते हैं। यदि वह अपने पुत्र अमित राजपूत को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाने में सफल होते हैं, तो यह उनकी राजनीतिक ताकत का एक और बड़ा प्रदर्शन होगा।

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