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Sunday, April 20, 2025

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं व सद्ज्ञान की जानकारी से अवगत कराया श्रृद्धालुओं को

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शाहजहांपुर। चित्रा टाकीज प्रांगण में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास डॉ०दामोदर दीक्षित जी ने आत्मा का परमात्मा के मिलन एवं महारासलीला की कथा के का श्रवण किया। उन्होंने श्रृद्धालुओं को रजोगुण की निवृत्ति बताई।
श्रीमद्भागवत कथा में आज के अध्याय का शुभारंभ करते हुए कथा व्यास ने भगवान के मथुरा प्रवेश सहित अक्रूर जी मथुरा आगमन एवं प्रस्थान की कथा सुनाई। फिर दर्जी को भक्ति प्रदान करने तथा माली से मिलना एवं उसके द्वारा श्रीकृष्ण का माला पहनकर को धन्य करने के बारे में बताया। आगे उन्होंने कंस की दासी कुब्जा को कैसे श्रीकृष्ण ने महा सुन्दरी बनाया का वृत्तांत सुनाया।

कथा व्यास गद्दी पर बैठे आचार्य डॉ०दामोदर जी ने मथुरा के राजा कंस के दरबार में प्रवेश करने तथा कुश्ती के पहलवानों से मल्लयुद्ध के बहाने इन दोनों भाइयों भगवान श्रीकृष्ण व बलदाऊ को मार देने की योजना के बारे में सुनाया। कथा के आगे उन्होंने सुनाया कि भगवान सभी को परास्त करके कंस के आसन के पास पहुंचे। जहां भगवान ने अपनी मां देवकी के बाल पकड़ने वाले कंस को उसके बाल पकड़कर नीचे फेंक दिया। श्रीकृष्ण ने कंस का वध कर कारागार में जाकर मां देवकी तथा पिता वासुदेव मुक्त किया। वहीं भगवान ने अपने नाना उग्रसेन को जेल से मुक्त करके पुनः राजसिंहासन पर विराजमान कर दिया।

आचार्य जी ने श्रीकृष्ण एवं बलराम के संदीपन ऋषि के आश्रम में विद्यार्जन करने तथा गुरुकुल में एक ब्राह्मण बालक सुदामा से भेंट व मित्रता के बारे में बताया। जबकि उद्धव जी का घमंड दूर करने के लिए उन्हें वृंदावन भेजना फिर रुक्मणी से श्रीकृष्ण के विवाह की कथा का विस्तृत वर्णन कर रासलीला की कथा सुनाईं। वहीं

भगवान पर मणि चोरी का असत्य आरोप पर मणि को खोज निकाला। जो कि जामवंत जी ने सत्राजित को मारकर प्राप्त कर अपनी बेटी जमवंती को मणि दी थी। कथा के अंत में उन्होंने सुदामा चरित्र का मार्मिक वर्णन किया। जिसे सुनकर वहां बैठे सभी श्रोताओं विशेषकर महिलाओं की आंखें नम हो गईं।

श्रीमद्भागवत कथा से पहले पुरोहित अनंतराम ने मुख्य यजमान कमलेश कुमार खन्ना एवं उनकी धर्मपत्नी सरला खन्ना से देव पूजन करवाया। यजमान दंपति ने मंचासीन कथा व्यास व संतों एवं विद्वानों को माला चन्दन आदि से स्वागत कर अभिनन्दन किया। वहीं रमेश त्रिपाठी, प्रसून त्रिपाठी एवं रामबली ने संगीत पर हनुमान चालीसा सुनाई। जबकि रामदुलारे त्रिगुनायत, सुमन जी, राजेश जी ने सुंदर भजन सुनाए।

संचालक आचार्य रामानंद दीक्षित ने किया। जबकि स्वामी सत्यनंद जी महाराज ने संक्षेप में प्रवचन किया।
इस कथा में चंद्रशेखर खन्ना धीरू भैया एवं रागिनी खन्ना, ओम खन्ना, डॉ०राम मेहरोत्रा, सोमनाथ कपूर एवं सरिता कपूर, ध्रुवनारायन मेहरा एवं सुधा मेहरा सहित बिठूर से पधारीं साध्वी रमा मिश्रा एवं जानकी देवी आदि की पावन उपस्थिति एवं सहयोग रहा।

भागवत कथा पश्चात संध्या आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ कथा को विश्राम दिया गया।

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