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Sunday, November 9, 2025
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Journalism

मैं और मेरी पत्रकारिता — दस साल की जंग, सच की आवाज़ और जाल जो मुझे घेरता रहा- शरद कटियार

- अवधेश मिश्रा, अनुपम दुबे जैसे अपराधियों ने समाज, क़ानून, धर्म सभी का किया अपमान! - सच्चाई जान ले समाज, मैंने सदैव अपराध और अपराधी...

पत्रकारिता में बहुजनों की नगण्य भागीदारी: लोकतंत्र की सबसे बड़ी विफलता

प्रशांत कटियार "जब समाज की बहुसंख्या मीडिया में गूंगी-बहरी कर दी जाए, तो लोकतंत्र भी धीरे-धीरे तानाशाही की ओर बढ़ने लगता है।" भारतीय लोकतंत्र का चौथा...

“पत्रकारिता पर प्रहार: जब सवाल पूछना साजिश बन जाए”

शरद कटियार पत्रकारिता लोकतंत्र (journalism democracy) का चौथा स्तंभ है। इसकी भूमिका सूचना देना भर नहीं, बल्कि जनहित के लिए सत्ता से सवाल पूछना, प्रशासन...

बेबाक पत्रकारिता को मिला न्याय का समर्थन, हाईकोर्ट ने दी मौन मुहर

लखनऊ। "CM साहब, हमसे का भूल हुई?"... ये सवाल सिर्फ एक पत्रकार का नहीं, बल्कि उस आम नागरिक की आवाज़ है जो अपने हक़,...

सच्ची पत्रकारिता के व्यापक मायने

शरद कटियार आज जब सूचना की बाढ़ है और सोशल मीडिया की हर फीड खबरों से भरी है, तब सवाल उठता है—क्या सच में पत्रकारिता...

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