-मोहनलालगंज से हुई गिरफ्तारी, कई और बड़े चेहरे आ सकते हैं जांच के घेरे में
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने लखनऊ में ज़मीन घोटाले से जुड़े एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस रैकेट के जरिए कई बेशकीमती ज़मीनों की फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कराई जा रही थी। जांच एजेंसी ने इस मामले में इन्फ्रा विजन कंपनी के प्रमोटर प्रमोद कुमार उपाध्याय को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी लखनऊ के मोहनलालगंज इलाके से की गई।
STF के अनुसार, यह गिरोह फर्जी दस्तावेजों, जाली आधार कार्ड, पैन कार्ड और शिनाख्ती दस्तावेजों के सहारे ज़मीन की फर्जी रजिस्ट्री कराता था। इस घोटाले में सरकारी मशीनरी से जुड़े कुछ कर्मचारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
प्रमोद कुमार उपाध्याय की गिरफ्तारी के बाद शुरुआती पूछताछ में कई चौंकाने वाली जानकारियाँ सामने आई हैं। अब तक सामने आए आंकड़ों के मुताबिक, करीब 15 से ज्यादा रजिस्ट्री फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कराई गईं।
इनकी कुल कीमत 20 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। गिरोह ने लगभग 6 जिलों में अपनी जड़ें फैला रखी थीं।
STF ने साइबर व डॉक्युमेंट एक्सपर्ट्स की मदद से दस्तावेजों की सत्यता जांची। डिजिटल ट्रैकिंग से यह पुष्टि हुई कि प्रमोद उपाध्याय और उनके सहयोगियों ने योजनाबद्ध तरीके से भोले-भाले किसानों की ज़मीनें हथियाईं और रजिस्ट्री करवा दी।
STF सूत्रों के अनुसार प्रमोद उपाध्याय अकेला नहीं था। उसकी मदद करने वाले कई अन्य सहयोगियों की पहचान कर ली गई है और उनकी गिरफ्तारी जल्द हो सकती है। इसमें सरकारी अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में है। एसटीएफ की टीम लखनऊ सहित अन्य जिलों में भी दबिश दे रही है।
एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह संगठित अपराध का गंभीर मामला है। रियल एस्टेट और पब्लिक प्रॉपर्टी सेक्टर में जनता को लूटने का संगठित प्रयास किया गया है। जांच जारी है, और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”