शरद कटियार✍️। ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हाल ही में हुई भगदड़ में जान गंवाने वालों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाने पर लेते हुए कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बच रही है और आंकड़ों की बाजीगरी कर रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मांग की कि वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाकर किसी अन्य व्यक्ति को यह जिम्मेदारी सौंपें।
शंकराचार्य ने कहा कि जब इतनी बड़ी त्रासदी होती है, तो सरकार का पहला कर्तव्य होता है कि वह पारदर्शिता बनाए रखे और पीड़ित परिवारों को राहत पहुंचाए, लेकिन यहां उल्टा हो रहा है। उन्होंने सरकार पर झूठ बोलने और वास्तविक मृतकों की संख्या को छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा, “जब एक भी निर्दोष व्यक्ति की मौत होती है, तो यह प्रशासन की विफलता होती है। लेकिन यहां तो सैकड़ों लोगों की जान चली गई और सरकार उसे छुपाने का प्रयास कर रही है। क्या यही सुशासन है?”
शंकराचार्य ने हादसे में मृतकों की संख्या को लेकर सरकार के आधिकारिक आंकड़ों पर संदेह जताया। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा जारी किए गए आंकड़े वास्तविकता से बहुत दूर हैं और सरकार अपनी छवि बचाने के लिए सही आंकड़े छिपा रही है। उन्होंने सवाल किया कि अगर सरकार के दावों के अनुसार मृतकों की संख्या कम है, तो आखिर इतने परिवार अपने प्रियजनों के लिए न्याय की गुहार क्यों लगा रहे हैं?
उन्होंने कहा कि “अगर सरकार और प्रशासन ने सही समय पर उचित प्रबंधन किया होता, तो इतने निर्दोष लोगों की जान नहीं जाती। यह पूरी तरह से सरकारी लापरवाही और प्रशासनिक असफलता का परिणाम है।”
शंकराचार्य ने कहा कि कुछ लोग इस त्रासदी को भी राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, जो पूरी तरह से अमानवीय और निंदनीय है। उन्होंने कहा कि “धर्म और मानवता के नाम पर राजनीति करने वालों को समझना चाहिए कि पीड़ित परिवारों के आंसुओं की कीमत वोटों से अधिक होती है।”
उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि प्रभावित परिवारों को तुरंत राहत दी जाए, दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस व्यवस्था बनाई जाए।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का सनातन धर्म और राष्ट्रहित में योगदान महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का समर्थन किया और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया।
उन्होंने गंगा नदी की शुद्धता और संरक्षण के लिए लंबी लड़ाई लड़ी, जिसके परिणामस्वरूप गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा मिला। इसके अलावा, उन्होंने रामसेतु को संरक्षित रखने के लिए भी आंदोलन किया और सरकार की परियोजना को रोकने में सफलता हासिल की।
उन्होंने कई बार सनातन धर्म पर हो रहे हमलों के खिलाफ आवाज उठाई और हिंदू संस्कृति को बनाए रखने के लिए संघर्ष किया।
शंकराचार्य ने स्पष्ट किया कि वे किसी भी राजनीतिक दल या नेता के न तो समर्थक हैं और न ही विरोधी। उन्होंने कहा, “जो भी व्यक्ति या दल धर्म, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलेगा, हम उसकी प्रशंसा करेंगे, और जो अधर्म करेगा, उसकी निंदा करेंगे। हमारी निष्ठा केवल सत्य और धर्म के प्रति है, न कि किसी राजनैतिक दल के प्रति।”
उन्होंने उन लोगों की भी आलोचना की जो धर्मगुरुओं का अपमान कर सिर्फ राजनेताओं का समर्थन करने में लगे हैं। उन्होंने कहा, “जो लोग हमें गालियां देकर नेताओं का समर्थन कर रहे हैं, वे इस बात पर विचार करें कि जब वे स्वयं संकट में पड़ेंगे, तो क्या कोई नेता उन्हें सहयोग करेगा।
उन्होंने उन संतों की भी निंदा की जो यह कह रहे हैं कि “भगदड़ में मारे गए लोगों को मोक्ष प्राप्त हुआ।” उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, “अगर ऐसा ही है, तो उन संतों को भी मोक्ष दिलाने के लिए हम उनके लिए भी भगदड़ की व्यवस्था कर सकते हैं!”
शंकराचार्य ने कहा कि अब समय आ गया है कि जनता जागरूक हो और नेताओं के झूठे वादों में न फंसे। उन्होंने कहा, “जब तक जनता स्वयं को ठगा हुआ महसूस नहीं करेगी, तब तक ये नेता यूं ही सत्ता का दुरुपयोग करते रहेंगे।”
उन्होंने आह्वान किया कि धर्म और मानवता की रक्षा के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता को चाहिए कि वह नेताओं की जवाबदेही तय करे और किसी भी प्रकार के अन्याय या झूठे वादों को सहन न करे।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का यह बयान सरकार और प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि जनता को मूर्ख बनाना अब आसान नहीं है। भगदड़ जैसी घटनाएं केवल संयोग नहीं होतीं, बल्कि वे सरकारी असफलताओं का परिणाम होती हैं।
अगर सरकार अपनी नीतियों में पारदर्शिता नहीं रखेगी और जनता के साथ ईमानदार नहीं होगी, तो भविष्य में जनता का विश्वास पूरी तरह खत्म हो सकता है। शंकराचार्य का यह बयान न केवल उत्तर प्रदेश की सरकार बल्कि पूरे देश के प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि जनता की सुरक्षा और विश्वास सर्वोपरि होना चाहिए, न कि राजनीतिक स्वार्थ।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शंकराचार्य के इन तीखे सवालों का सरकार क्या जवाब देती है और क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मुद्दे पर कोई सफाई देते हैं या नहीं।
लेखक दैनिक यूथ इंडिया के मुख्य संपादक हैं।