फर्रुखाबाद। भारत की सांस्कृतिक संस्था संस्कार भारती ने स्टैंड-अप कॉमेडी की वर्तमान दिशा और स्तर पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इसके अशोभनीय व असंवेदनशील प्रस्तुतीकरण का पुरजोर विरोध करने का ऐलान किया है। यह निर्णय हाल ही में नासिक में सम्पन्न अखिल भारतीय प्रबंधकारिणी एवं प्रशिक्षण वर्ग की बैठक में लिया गया।
बैठक से लौटकर प्रांतीय महामंत्री सुरेन्द्र पांडेय, प्रांतीय कोषाध्यक्ष डॉ. समरेन्द्र शुक्ल एवं प्रांत मंत्री आदेश अवस्थी ने संयुक्त रूप से बताया कि वर्तमान समय में डिजिटल माध्यमों पर तेजी से लोकप्रिय होती स्टैंड-अप कॉमेडी भारत की प्राचीन हास्य परंपरा का विकृत रूप बनती जा रही है।
संस्कार भारती के अनुसार, भारत की नाट्य परंपरा की आधारशिला भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में रखी गई है, जहां हास्य रस को नौ रसों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यह परंपरा केवल हँसी के लिए नहीं, बल्कि समाज में संवाद, आत्मचिंतन और सुधार का माध्यम रही है। चाहे वह संस्कृत नाटकों का सौम्य हास्य हो, लोकनाट्य, नौटंकी, भांड या कवियों के व्यंग्यात्मक दोहे—सभी ने समाज को जागरूक किया है।
प्रबंधकारिणी का मानना है कि आधुनिक स्टैंड-अप कॉमेडी ने हास्य के इस उद्देश्य से दूरी बना ली है। आज यह माध्यम गालियों, अश्लील इशारों, धार्मिक प्रतीकों के अपमान और सांप्रदायिक टिप्पणियों से हँसी बटोरने का प्रयास करता है, जिससे संवेदनशीलता और सहिष्णुता की भावना क्षीण हो रही है।
संस्कार भारती ने कलाकारों से आग्रह किया है कि वे अपनी रचनाओं में नैतिकता, विवेक और सांस्कृतिक चेतना का पालन करें। दर्शकों से अनुरोध किया गया है कि वे गरिमामय और उद्देश्यपूर्ण हास्य को प्रोत्साहित करें तथा अशोभनीय प्रस्तुतियों का विरोध करें।
संगठन ने सरकार, नीति निर्माताओं और सांस्कृतिक संस्थाओं से भी अपील की है कि वे हास्य विधा के क्षेत्र में गुणवत्ता और अनुशासन सुनिश्चित करें। साथ ही, देशभर के कलासाधकों और कार्यकर्ताओं से आग्रह किया गया है कि वे इस दिशा में संवेदनशील और प्रेरणास्पद भूमिका निभाएं।
प्रेस वार्ता के दौरान प्रांतीय कोषाध्यक्ष डॉ. समरेन्द्र शुक्ल व प्रांत मंत्री आदेश अवस्थी विशेष रूप से मौजूद रहे।