फर्रुखाबाद। यूं तो शहर में बहुत सी साहित्य संस्थाएं हैं और साहित्यिक सेवा का दावा भी लोग करते रहे हैं लेकिन राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती को सभी लोग भूल गए ।
साहित्यिक सेवा और जागरूकता का बीड़ा उठाने वाले संस्थाएं और उनके कारण भर किसी को भी विश्व साहित्य के रश्मिरथी साहित्यकार रामधारी सिंह दिनकर की जयंती याद नहीं रही और ना ही कोई आयोजन उनकी जयंती पर संजोया गया। रामधारी सिंह तो दूर इसी धरती पर पैदा हुई महीयसी महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि और जयंती भी उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कार्यक्रम तक ही सीमित होकर के रह गई है महादेवी के साहित्य के नाम पर अपनी साहित्यिक रोटियां सीखने वालों को इन बड़े साहित्यकारों का ध्यान तक नहीं है और बड़े-बड़े मंचों से उद्घोषणा करते हैं की नई पीढ़ी अपने इतिहास को भूली जा रही है ऐसे में किसका दायित्व बनता है की नई पीढ़ी को उसका इतिहास याद दिलाने का प्रयास किया जाना चाहिए स्वनाम धन्य साहित्यकारों को इस बात का जिम्मा उठाना चाहिए। यहां तक की अभिव्यंजना ने भी रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर कोई भी आयोजन नहीं कराया। संस्कार भारती हो या फिर अन्य कोई संस्था जयंती पर दिनकर को सभी भूल गए।
साहित्य के दिनकर को जयंती पर भूल गए साहित्य सेवा के कार्णधार
