फर्रुखाबाद: ऑल इंडिया मुस्लिम पसमांदा समाज (All India Muslim Pasmanda Samaj) ने शनिवार को समाज के हक़ और हकूक को लेकर एक अहम मांग उठाई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष शाकिर अली मंसूरी (National President Shakir Ali Mansoori) ने कहा कि केंद्र सरकार को शीघ्र जाति आधारित जनगणना करानी चाहिए, ताकि पसमांदा मुसलमानों को उनकी जातीय जनसंख्या के अनुसार आरक्षण का लाभ मिल सके। इसके साथ ही उन्होंने मुस्लिम पसमांदा समाज के लिए एक अलग आयोग “पसमांदा अरजाल आयोग” के गठन की मांग की, जो उनके जातीय प्रमाणपत्र एवं अधिकारों से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर सके।
शाकिर अली मंसूरी ने भारतीय संविधान के अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण देने की जो व्यवस्था संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने दी थी, उसे आज की सरकारें निजीकरण के जरिये खत्म कर रही हैं। उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकारी विभागों का निजीकरण करके आरक्षण को शून्य किया जा रहा है, जिससे संविधान की मूल भावना को ठेस पहुंच रही है।
उन्होंने मांग की कि – सरकारी विभागों में आरक्षण कोटा पूरी तरह लागू किया जाए, निजीकरण को रोका जाए,
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को जल्द से जल्द लागू किया जाए, तथा समान व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की संवैधानिक व्यवस्था (अनुच्छेद 21A) को जमीनी स्तर पर सख्ती से लागू किया जाए।
प्रदेश अध्यक्ष असलम कुरैशी ने भी सरकार को घेरते हुए कहा कि महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, भूख और भय के माहौल ने आम जनता की कमर तोड़ दी है। उन्होंने नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की और सामाजिक सद्भाव को मजबूत करने की अपील की।
इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि उत्तर प्रदेश में बंजारा, लोहार, जोगी जैसी जातियों को OBC की सूची से हटाकर SC/ST का दर्जा दिया जाए, ताकि उन्हें वास्तविक न्याय मिल सके। शाकिर अली मंसूरी ने बिहार मॉडल का उल्लेख करते हुए कहा कि जिस प्रकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वहां जातीय जनगणना और महाआयोग का गठन किया, उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार को भी कदम उठाना चाहिए।