यूथ इंडिया, बरेली। एक विवाहित महिला द्वारा शादी का झांसा देकर दो वर्ष तक दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाने के मामले में कोर्ट ने आरोपी को निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया। फास्ट ट्रैक प्रथम रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने पांच महीने में ही मामले का निपटारा कर आरोपी को दोषमुक्त करार दिया। साथ ही, महिला पर झूठे आरोप लगाने के लिए एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
झूठे आरोपों की असलियत
बारादरी निवासी एक महिला की शादी सीबीगंज क्षेत्र में हुई थी और उनके तीन बच्चे भी थे। पति से विवाद के बाद महिला अपने मायके में रहने लगी। इसी दौरान, महिला का पड़ोसी राहुल से प्रेम संबंध हो गया। राहुल से दो साल तक संबंध रहने के बावजूद शादी से इनकार करने पर, महिला ने राहुल और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज करा दी। इस मामले की विवेचना एसआई दुष्यंत गोस्वामी ने की। विवेचना में सामने आया कि महिला ने बदले की भावना से झूठे आरोप लगाए थे।
कोर्ट का आदेश
जज रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने स्पष्ट किया कि विवेचक का काम सत्य की खोज करना है, न कि किसी को फंसाना। अदालत ने यह भी कहा कि विवेचक और अन्य पुलिस अधिकारियों ने अपने कर्तव्यों का सही पालन नहीं किया। एसएसपी को आदेश दिया गया कि वे संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करें और सुनिश्चित करें कि भविष्य में विवेचक सत्य की खोज में ईमानदारी से काम करें।
अभियोजन की प्रक्रिया
16 फरवरी 2023 को राहुल के खिलाफ आरोप तय किए गए और सुनवाई शुरू हुई। अभियोजन पक्ष ने चार गवाह पेश किए जबकि राहुल के बचाव में उसके वकील ने महिला के पति और ससुराल के पड़ोसी को पेश किया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने राहुल को दोषमुक्त करार दिया।
पति का बयान
महिला के पति ने कोर्ट में बयान दिया कि उसकी पत्नी मोहल्ले के नये लड़कों को फंसाकर रुपये ठगती थी। जो रुपये नहीं देता, उसके खिलाफ झूठे केस दर्ज करा देती थी।
इस प्रकार, अदालत ने इस मामले में सत्य को उजागर करते हुए न्याय किया और झूठे आरोप लगाने वाली महिला पर जुर्माना भी लगाया।