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Thursday, December 26, 2024

राजनैतिक षडय़ंत्र: दो समुदायों को भड़काने की कोशिश, पंचायत चुनाव में बढ़ सकता है तनाव

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यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद, कमालगंज। बीबीपुर उस्मानगंज, जहानगंज, नारायणपुर गाडिय़ा, अहमदपुर गाडिय़ा समेत कई गांवों में कुर्मी और बॉथम समुदायों के बीच तनाव भड़काने का राजनैतिक षडय़ंत्र शुरू हुआ है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पंचायत चुनावों में दोनों समुदायों समेत लोधी राजनीति को दबाने के बीच अहमदपुर देवरिया में पंचायतघर के विवाद को मुद्दा बनाने की कोशिश की जा रही है, जिससे सामाजिक तनाव बढ़ रहा है,और आपसी खुन्नस बढ़ा कर राजनैतिक लाभ लेने की कोशिश कर गंदी राजनीति शुरू की गई है।
बीते कुछ समय से अहमदपुर देवरिया में पंचायत घर के निर्माण को लेकर विवाद चल रहा है। समाज के लोग पहले से ही इस मुद्दे पर नाराज हैं, और अब विधायक नागेंद्र सिंह पर आरोप लग रहे हैं कि वे इस स्थिति को और जटिल बना रहे हैं। आरोप है कि वे जानबूझकर दोनों समुदायों के बीच टकराव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि यह चुनावी मुद्दा बने और एक विशेष राजनीतिक लाभ उठाया जा सके।
बीबीपुर उस्मानगंज, अहमदपुर देवरिया और आसपास के गांवों की कुल जनसंख्या लगभग 15,000 है, जिनमें से 40 फीसदी कुर्मी और 30 फीसदी बॉथम समुदाय के लोग हैं। बाकी जनसंख्या अन्य जातियों की है, जिनमें क्षत्रिय और लोधी प्रमुख हैं। इन इलाकों में पिछले पंचायत चुनाव में 5,000 से अधिक लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इस बार यह संख्या 10 फीसदी बढऩे की उम्मीद है। पिछले तीन महीनों में पुलिस थाने में कुर्मी और बॉथम समुदायों के बीच 7 विवाद दर्ज हुए हैं, जो पहले के वर्षों की तुलना में 25त्न अधिक है। इन विवादों में भूमि और पंचायत से जुड़े मुद्दे प्रमुख हैं।
स्थानीय प्रशासन के पास इन विवादों की शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। क्षेत्रीय लोगों का मानना है कि अगर समय रहते प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं हुआ तो आने वाले पंचायत चुनावों में यह तनाव और अधिक बढ़ सकता है।
पूर्व में बीबीपुर, जहानगंज, उस्मानगंज, नारायणपुर गाडिय़ा, अहमदपुर देवरिया आदि कई गांवों में पार्टी बंदी कर दो धड़ों में बांटने की कोशिश से स्थानीय समाजसेवी और प्रबुद्ध वर्ग इस स्थिति से चिंतित हैं। उनका कहना है कि यदि दोनों समुदायों के बीच शांति बनाए रखने के लिए जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। कई गांवों में कुर्मी और बॉथम समुदायों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर चिंता गहराती जा रही है। पंचायत चुनावों के मद्देनजर यह मुद्दा और बढ़ सकता है। प्रशासन और स्थानीय नेताओं को इस स्थिति को सुधारने के लिए त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि शांति और सद्भाव कायम रहे।

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