शरद कटियार
लखनऊ। तहजीब, परंपरा और राजनीतिक परिपक्वता की ज़मीन लखनऊ में आजकल एक नया नाम तेज़ी से लोगों की जुबान पर है — नीरज सिंह, जो न सिर्फ भारत के रक्षा मंत्री और लखनऊ सांसद राजनाथ सिंह के पुत्र हैं, बल्कि अब उनकी सियासी विरासत को आगे बढ़ाने की दिशा में मजबूत क़दम बढ़ा चुके हैं।
नीरज सिंह का लोगों के बीच उठना-बैठना, बुज़ुर्गों के पाँव छूकर आशीर्वाद लेना और युवाओं के कंधे पर हाथ रखकर संवाद करना — यह सब एक नई राजनीति की सौंधी बयार की तरह महसूस हो रहा है।
🧡 “बड़े पिता के साए में एक छोटे बेटे की नई शुरुआत”
नीरज सिंह को देखकर यह समझना मुश्किल नहीं कि उन्होंने अपने पिता से सिर्फ राजनीतिक मूल्य ही नहीं, संस्कार और संवेदनशीलता भी विरासत में पाई है। जहां राजनाथ सिंह एक सुलझे हुए और सौम्य जननेता के रूप में देश की राजनीति में मिसाल हैं, वहीं नीरज सिंह अब उसी राह पर अपनी पैनी समझ और जमीनी जुड़ाव से पहचान बना रहे हैं।
वे जब लखनऊ की गलियों में निकलते हैं, तो कोई उन्हें ‘बबुआ जी’ कहकर पुकारता है, तो कोई “राजनाथ जी का सच्चा वारिस”। बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक में उनके लिए आत्मीयता है, और यह अपने आप में कोई छोटी बात नहीं।
📍 मुलाकातें नहीं, रिश्ते बना रहे हैं नीरज
हाल ही में जब नीरज सिंह ने एक बुजुर्ग रिक्शा चालक को गले लगाकर हालचाल पूछा और उनके इलाज की जिम्मेदारी ली, तो वहां मौजूद हर आंख नम हो गई। उन्होंने मंच से नहीं, मुलाकातों और मुस्कानों से दिल जीता है।
शहर पश्चिम से लेकर गोमती नगर और मलिहाबाद तक, हर जनसभा में लोग सिर्फ बात सुनने नहीं, एक नई उम्मीद को देखने आते हैं।
🎙️ “जनता के विश्वास को बोझ नहीं, सौभाग्य मानता हूं” — नीरज सिंह
एक जनसभा में जब उनसे पूछा गया कि वे राजनीति में क्यों आए, तो उन्होंने मुस्कराकर कहा—
“मैं राजनीति में नहीं आया, मैं तो लखनऊ की सेवा में जन्म से ही शामिल हूं। अब यह सेवा ज़िम्मेदारी बन गई है।”
उनके इस जवाब पर खूब तालियां बजीं, और लोगों की आंखों में गर्व के आंसू भी थे।
🏛️ राजनाथ सिंह की विरासत: अब नीरज सिंह की जिम्मेदारी
राजनाथ सिंह ने लखनऊ को सुरक्षा, सम्मान और सेवा की पहचान दी। अब नीरज सिंह उसी मिशन को युवा दृष्टिकोण और तकनीकी सोच से आगे बढ़ा रहे हैं।
युवाओं के रोजगार की चिंता,
गरीबों की शिक्षा और स्वास्थ्य तक पहुंच,
महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान,
लखनऊ के स्मार्ट और सांस्कृतिक विकास का सपना।
ये सब बातें नीरज सिंह की प्राथमिकताओं में हैं, और यही कारण है कि लोग उन्हें एक राजनेता नहीं, परिवार का सदस्य मानने लगे हैं।
यह केवल एक बेटे का अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाना नहीं है, बल्कि एक शहर के साथ रिश्ते को निभाने की कोशिश है। लखनऊ आज भी “राजनाथ सिंह का गढ़” है, और अब वही लखनऊ नीरज सिंह को आशीर्वाद देकर आगे बढ़ा रहा है।
यह राजनीति की कहानी नहीं — यह परिवार, परंपरा और परिवर्तन की एक भावुक शुरुआत है।