प्रदीप तिवारी
गोण्डा: स्वास्थ्य विभाग (health department) की लापरवाही से जिले भर में मृत्यु दर बढ़ी हैं। जानकारी के मुताबिक कर्नलगंज,मनकापुर, गोण्डा सदर तहसील और तरबगंज तहसील क्षेत्र में क्षेत्र में झोला छाप डॉक्टरों द्वारा अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है, और अवैध पैथोलॉजी पर बिना किसी सक्षम डॉक्टर (doctors) के जांच की रिपोर्टिंग की जा रही है। यहां तक की आर्य नगर , कटरा बाजार, खरगूपुर, इटियाथोक, धानेपुर, परसपुर, बेलसंर, तरबगंज, मनकापुर,कर्नलगंज तहसील के सामने और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सामने कुछ पैथोलॉजी और डायग्नोस्टिक सेंटर जो की स्वास्थ्य विभाग द्वारा रजिस्टर्ड है, फिर भी वहां पर मात्र डीएमएलटी के द्वारा जांच कर रिपोर्टिंग कर दी जा रही और एमबीबीएस डॉक्टर का नाम मात्र दिखावा के लिए है।
किसी भी पैथोलॉजी पर एमबीबीएस डॉक्टर कभी भी उपलब्ध नहीं मिलता केवल उसके नाम से रिपोर्टिंग की जा रही है| जो की मरीज के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, और मरीज के साथ अवैध वसूली की जा रही है।यही नहीं डायग्नोसिस सेंटरों पर भी बिना सक्षम डॉक्टर की उपस्थित होने के बावजूद भी अल्ट्रासाउंड एवं अन्य जांच की जा रही हैं, जबकि अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर रेडियोलॉजिस्ट का होना आवश्यक है।परसपुर बजार में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के करीब दो अल्ट्रासाउंड केंद्र हैं|
परंतु किसी पर भी कोई रेडियोलॉजिस्ट नहीं बैठता है।यहां तक की बहु चर्चित है।वही कर्नलगंज बाजार तहसील के सामने और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पास चार से पांच अल्ट्रा साउंड केंद्र डायग्नोस्टिक सेंटर पर भी दूर-दूर तक कहीं रेडियोलॉजिस्ट की उपस्थिति नहीं दिखती है,जिससे मरीज के जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है और उनकी जेबों पर डकैती डालने का काम किया जा रहा है।यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी एवं अधिकारियों को क्या यह बड़ा-बड़ा लगा हुआ पोस्टर और होल्डिंग नहीं दिख रही है अथवा देखना ही नहीं चाहते।
यह कहावत पूर्ण रूप से साकार होती है कि दीपक तले अंधेरा,स्वास्थ्य टीम शहर से लेकर कस्बे से होती हुई हमेशा गुजरती है परंतु शहर और कस्बे में ही तमाम अवैध क्लीनिक,अवैध पैथोलॉजी और अवैध डायग्नोसिस सेंटर चल रहे हैं और झोलाछाप डॉक्टरों के बदौलत क्लिनिक चलाई जा रही है।जहां पर हमेशा मरीज के जीवन को खतरा बना रहता है और उनके जेब पर खुलेआम डकैती डाली जा रही है।
विचारणीय प्रश्न या उठता है कि क्या जिलें की सीएमओ और एडिशनल सीएमओ और स्वास्थ्य टीम के द्वारा इस प्रकार के अवैधहॉस्पिटलों, पैथोलॉजी, डायग्नोसिस सेंट्रो पर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है, क्या यह उनकी सह पर फल – फूल रहे हैं।यदि ऐसा है तो जिलाधिकारी गोण्डा के आदेश पर जांच प्रक्रिया मात्र दिखावा ही है,यदि गहन जांच प्रक्रिया की जाए तो आम जनमानस के जीवन के साथ खिलवाड़ और उनकी जेब पर डाली जा रही डकैती पर प्रतिबंध लग सकेगी और झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा आए दिन की जा रही धनउगाही पर प्रतिबंध लग सकती है।
शहर में कई ऐसे बहुचर्चित डायग्नोस्टिक सेंटर चल रहे हैं जिनके पास डॉक्टर की तो बड़ी-बड़ी डिग्री बड़े-बड़े बोर्ड लगे हुए हैं लेकिन उनके पास डॉक्टर की उपस्थिति नहीं रहती है।मरीज को गलत रिपोर्ट दी जाती है।शहर से हटकर यदि देखा जाए तो परसपुर और कर्नलगंज में कई बहुचर्चित झोलाछाप डॉक्टर मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हुए धन उगाही का कार्य कर रहे है, कर्नलगंज बाजार में हर गली चौराहे पर झोलाछाप डॉक्टर धड़ले से मरीज के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हुए धनउगाही का कार्य कर रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग की टीम कुंभकरणी नींद में मस्त है।
सूत्रों की यदि माने तो यह भी प्रकाश में आया हुआ है कि तमाम ऐसे सेंटर गोपनीय ढंग से चलाए जा रहे हैं।जहां पर मात्र भ्रूण हत्या का ही कार्य किया जा रहा है और वहां पर कोई भी इलाज न करते हुए मात्र धन उगाही का कार्य किया जा रहा है।सूत्रों के अनुसार यह जानकारी मिली है की कर्नलगंज बाजार में कई ऐसे नर्सिंग होम चल रहे हैं जहाँ पर भ्रूण हत्या का ही कार्य किया जा रहा है।इस पर स्वास्थ्य विभाग की टीम की नजर नहीं पड़ रही है यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर उस केंद्र में ऐसा क्या है कि किसी भी स्वास्थ्य विभाग की टीम की नजर उस पर नहीं पड़ रही है।कौन सा ऐसा नर्सिंग होम है जहाँ यह खेल खेला जा रहा है।