अशोक भाटिया , मुंबई
विदेशों में भारतीय मूल (Indian Origin) के लोगों की राजनीति सरगर्मी व उनकी विश्वसनीयता तेजी से बढ़ रही है ।उसकी ताजा मिसाल है कनाडा में होने वाले हालिया चुनाव । खबरों के अनुसार भारतीय मूल की नेता अनीता आनंद प्रधानमंत्री पद की एक मजबूत दावेदार हैं। बता दें जस्टिन ट्रूडो ने लिबरल पार्टी के नेता पद और प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, वह लिबरल पार्टी के नए नेता चुने जाने तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहेंगे। अनीता आनंद कनाडा की वर्तमान परिवहन और आंतरिक व्यापार मंत्री हैं। अनीता इंदिरा आनंद का जन्म केंटविले, नोवा स्कोटिया में हुआ था। उनके माता-पिता (दोनों का देहांत हो चुका है) इंडियन फिजिशियन थे। उनके पिता तमिलनाडु से और उनकी मां पंजाब से थीं। आनंद की दो बहनें हैं – गीता आनंद, टोरंटो में एक वकील हैं, और सोनिया आनंद, मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में एक फिजिशियन और रिसर्चर हैं।
आनंद 1985 में ओंटारियो चली गईं। उन्होंने और उनके पति जॉन ने अपने चार बच्चों का पालन-पोषण ओकविले में किया। आनंद ने अपने करियर के दौरान अब तक कई पदों पर काम किया है। वह पहली बार 2019 में ओकविले के लिए संसद सदस्य के रूप में चुनी गई थीं। उन्होंने 2019 से 2021 तक सार्वजनिक सेवा और खरीद मंत्री के रूप में कार्य किया और ट्रेजरी बोर्ड के अध्यक्ष और राष्ट्रीय रक्षा मंत्री के रूप में भी काम किया। सार्वजनिक सेवा और खरीद मंत्री के रूप में, आनंद ने कोविड-19 महामारी दौरान कनाडाई लोगों के लिए वैक्सीन, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण और रैपिड टेस्ट सुरक्षित करने के लिए अनुबंध वार्ता का नेतृत्व किया। अनीता जब राष्ट्रीय रक्षा मंत्री बनीं, तो उन्होंने सेना में यौन दुराचार के खिलाफ कदम उठाए। उन्होंने रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान कीव को व्यापक सैन्य मदद के साथ-साथ यूक्रेनी सैनिकों की ट्रेनिंग के लिए कर्मियों की व्यवस्था भी की। सितंबर 2024 में, अनीता आनंद को ट्रेजरी बोर्ड के अध्यक्ष के पद के अलावा परिवहन मंत्री भी नियुक्त किया गया। राजनीति के अलावा अनीता आनंद की पहचान एक विद्वान, वकील और रिसर्चर की रही है। वह टोरंटो यूनिवर्सिटी में कानून की प्रोफेसर रही हैं जहां उन्होंने इनवेस्ट प्रोटक्शन और कॉर्पोरेट गर्वनेंस में जेआर किंबर चेयर का पद संभाला था। आनंद ने एसोसिएट डीन के रूप में कार्य किया है और मैसी कॉलेज के गवर्निंग बोर्ड की सदस्य भी रही हैं। वह कैपिटल मार्केट्स इंस्टीट्यूट, रोटमैन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में नीति और अनुसंधान की निदेशक रही हैं। उन्होंने येल लॉ स्कूल, क्वीन्स यूनिवर्सिटी और वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में भी कानून पढ़ाया है। अनीता आनंद ने क्वीन्स यूनिवर्सिटी से राजनीतिक अध्ययन में बैचलर ऑफ आर्ट्स (ऑनर्स), ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से न्यायशास्त्र में बैचलर ऑफ आर्ट्स (ऑनर्स), डलहौजी यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ लॉ और टोरंटो यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की है।
कनाडा की अनीता आनंद पहली भारतीय मूल की महिला नहीं है जो किसी दूसरे देश में शीर्ष पद पर पहुचने की तैयारी कर रही है इसके पहले भी भारतीय मूल के कई लोग है जो विदेशों में अपने भारतीय मूल का डंका बजा चुके है ।
हम विदेशों में अपने भारतीय मूल के लोगों का इतिहास देखे तो अमेरिका के सबसे संपन्न और पढ़े लिखे समुदायों में भारतवंशी शीर्ष पर हैं। गौर करने वाली बात ये है कि अब भारतवंशी, अमेरिकी राजनीति में भी अपनी पकड़ बना रहे हैं और बड़ी संख्या में चुनावी राजनीति का हिस्सा बन रहे हैं। अमेरिका में अभी विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं के साथ ही स्थानीय निकाय के चुनावों में तीन दर्जन से भी ज्यादा भारतवंशी उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी पेश की ।
अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों के राजनीति में रुझान को इसी बात से समझा जा सकता है कि भारतीय अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा है कि ‘अगर आप खाने की मेज पर नहीं बैठे हैं तो फिर इसका मतलब है कि आप मेन्यू का हिस्सा हैं।’ कैलिफोर्निया में स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं और इन चुनाव में सबसे ज्यादा भारतीय मूल के लोग हिस्सा ले रहे हैं। कैलिफोर्निया से ही भारतीय मूल के रो खन्ना और एमी बेरा सांसद हैं। साथ ही राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार रही कमला हैरिस भी कैलिफोर्निया से ही ताल्लुक रखती हैं।
साथ ही अदला चिश्ती डिस्ट्रिक्ट 11 के लिए काउंटी सुपरवाइजर के लिए चुनाव लड़ रही हैं। आलिया चिश्ती सिटी कॉलेज बोर्ड सैन फ्रांसिस्को के लिए, दर्शना पटेल स्टेट असेंबली के लिए, निकोल फर्नाडेज सैन मेटो सिटी काउंसिल के लिए, निथ्या रमन लॉस एंजेल्स सिटी काउंसिल के लिए, रिचा अवस्थी फोस्टर सिटी काउंसिल के लिए और सुखदीप कौर एमरीविले सिटी काउंसिल के लिए चुनाव लड़ रही हैं। सिलिकॉन वैली में भारतीय इंजीनियर्स का खूब प्रभाव है, अब यहां की राजनीति में भी भारतीय अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय मूल की तारा श्रीकृष्णन सिलिकॉन वैली में डिस्ट्रि्क्ट 26 से कैलिफोर्निया स्टेट असेंबली के लिए चुनाव लड़ रही हैं।
डॉ। अजय रमन मिशिगन डिस्ट्रिक्ट 14 के लिए ऑकलैंड काउंटी कमिश्नर पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि अनिल कुमार और रंजीव पुरी मिशिगन स्टेट हाउस के लिए चुनाव मैदान में हैं। प्रिया सुंदरेशन एरिजोना में स्टेट सीनेट के लिए, रवि शाह स्कूल बोर्ड के लिए, पेंसिल्वेनिया में आनंद पाटके, अन्ना थॉमस और अरविंद वेंकट स्टेट हाउस के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं निकिल सावल स्टेट सीनेट के लिए उम्मीदवार हैं। इलिनोइस से भारतवंशी अनुषा थोटाकुरा स्कूल बोर्ड के लिए और नबील सैयद स्टेट हाउस के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।
अश्विन रामास्वामी, जॉर्जिया स्टेट सीनेट के लिए चुनाव मैदान में हैं और अगर वे चुने जाते हैं तो वे सबसे कम उम्र के सीनेटर होंगे। ओहायो में चैंतल रघु काउंटी कमिश्नर पद के लिए और पवन पारिख काउंटी क्लर्क ऑफ कोर्ट्स पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। वर्जीनिया में डैनी अवुला रिचमंड के मेयर पद के लिए चुनाव मैदान में हैं। इसी तरह न्यूयॉर्क में जेरेमी कोनी और मनिता संघवी स्टेट सीनेट, जोहरान ममदानी स्टेट असेंबली के लिए चुनाव मैदान में हैं। टेक्सास राज्य में सिटी काउंसिल के लिए भारतीय मूल की आशिका गांगुली, नबील शिके, रमेश प्रेमकुमार, रवि सैंडिल, सलमान भोजानी, शेखर सिन्हा, शेरिन थॉमस, सुलेमान लालानी सिटी काउंसिल, स्टेट हाउस और जज पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं मनका ढींगरा वाशिंगटन राज्य के अटॉर्नी जनरल पद और मोना दास सार्वजनिक भूमि के आयुक्त पद के लिए चुनावी रेस में शामिल हैं।
भारतीय मूल के दो अमेरिकियों ने शीर्ष पदों पर आसीन होकर इतिहास रच दिया। अरुणा मिलर और विवेक मुलक ने अमेरिकी राज्यों मैरीलैंड और मिसौरी के उपराज्यपाल और कोषाध्यक्ष (वित्त मंत्री) के रूप में शपथ ली । भारत में पैदा हुईं अरुणा मिलर ने अमेरिका के मैरीलैंड राज्य की पहली इंडियन अमेरिकन लेफ्टिनेंट गवर्नर बनी। अरुणा मिलर ने भगवत गीता पर हाथ रखकर शपथ ली और पद संभाला। 58 साल की अरुणा का जन्म भारत के हैदराबाद में हुआ था। वे 1972 में अपने परिवार के साथ अमेरिका गई थीं। उन्हें साल 2000 में अमेरिका की नागरिकता मिली थी। अरुणा मैरीलैंड राज्य की 10वीं लेफ्टिनेंट गवर्नर हैं। 2010 से 2018 तक वे मैरीलैंड के हाउस ऑफ डेलीगेट में भी रही थीं। उन्होंने वहां अपने दो कार्यकाल पूरे किए थे। अरुणा भारतीय-अमेरिकी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। लेफ्टिनेंट गवर्नर के चुनाव में कई ट्रम्प समर्थकों ने उनका समर्थन किया था।
यूनाइटेड किंगडम के इतिहास में पहली बार, देश का नेतृत्व एक गैर-श्वेत व्यक्ति द्वारा प्रधानमंत्री के रूप में किया गया है। 42 साल की उम्र में ऋषि सुनक, जोकि एक हिंदू हैं, ब्रिटेन के 200 से अधिक वर्षों के इतिहास में सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री भी रहे । यह किसी इतिहास से कम नहीं है। प्रत्येक भारतीय के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण रहा क्योंकि पहली बार यूनाइटेड किंगडम में भारतीय मूल का कोई प्रधानमंत्री बना । लेकिन यह पहली बार नहीं था जब कोई भारतीय मूल का व्यक्ति भारत के बाहर एक प्रमुख नेता बना।
गुयाना के नौवें कार्यकारी अध्यक्ष, मोहम्मद इरफान अली, जिन्होंने अगस्त 2020 में कार्यभार संभाला, गुयाना के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति हैं। लियोनोरा में एक मुस्लिम इंडो-गुयाना परिवार में पैदा होने के कारण, इरफान नूर हसनाली के बाद अमेरिका में दूसरे मुस्लिम राष्ट्राध्यक्ष भी हैं।एंटोनियो कोस्टा ने 2015 में पुर्तगाल के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। उनकी जड़ें भारत से संबंधित हैं क्योंकि उनका पैतृक परिवार गोवा से है, जबकि उनके पिता ऑरलैंडो दा कोस्टा का जन्म मोजाम्बिक, पूर्वी अफ्रीका में हुआ था।चंद्रिकापरसाद “चान” संतोखी को सूरीनाम (दक्षिण अमेरिकी देश) के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। इससे पहले 1991 में, नीदरलैंड में पुलिस अकादमी में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद संतोखी को पुलिस प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। सूरीनाम के राष्ट्रपति के रूप में संतोखी की नियुक्ति एक बड़ी सफलता थी क्योंकि इसने देश में तानाशाही को समाप्त कर दिया था।
प्रवीण जगन्नाथ, जो 2017 से मॉरीशस के प्रधानमंत्री हैं, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश से हैं। जगन्नाथ का जन्म ला कैवर्ने में अहीरों के एक हिंदू परिवार में हुआ था।मॉरीशस में भारतीय मूल के प्रधान मंत्री होने के अलावा उनके राष्ट्रपति भी हैं, जिनका एक भारतीय संबंध भी है। पृथ्वीराजसिंह रूपुन जीसीएसके या प्रदीप सिंह रूपुन, जिन्होंने 2019 में कार्यभार संभाला, एक हिंदू परिवार में पैदा हुए और आर्य समाज के अनुयायी हैं।हाल ही में अपने कार्यकाल के दो साल पूरे करने वाले सेशेल्स के राष्ट्रपति वेवेल रामकलावन का भी भारत के साथ एक अजीब संबंध है। सेशेल्स के एक द्वीप माहे में पैदा होने के कारण, रामकलावन के दादा बिहार, भारत के नागरिक थे।हलीमा याकूब, जो 2017 में सिंगापुर की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं। इनका जन्म एक भारतीय पिता और एक मलय मां से हुआ था। इससे पहले एक वकील, हलीमा ने देश के आठवें राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने से पहले सिंगापुर के स्पीकर के रूप में भी काम किया था।