कन्नौज। कन्नौज के बहुचर्चित दुष्कर्म मामले में पांच महीने बाद सपा नेता और पूर्व ब्लॉक प्रमुख नवाब सिंह यादव को पॉक्सो एक्ट में सशर्त जमानत मिल गई है। हालांकि, गैंगस्टर एक्ट के तहत जारी मामले के चलते उनकी रिहाई फिलहाल संभव नहीं हो सकी है।
न्यायालय की सुनवाई और दलीलें
पॉक्सो एक्ट न्यायाधीश अलका यादव ने नवाब के अधिवक्ताओं अशोक कुमार जैन, आशुतोष कुमार मिश्रा, और शिव कुमार यादव द्वारा पेश की गई दलीलों को स्वीकार करते हुए जमानत मंजूर की। अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि नाबालिग पीड़िता द्वारा दर्ज बयान (बीएनएस 180 और 183) घटना से मेल नहीं खाते और पीड़िता ने पुलिस पर दबाव डालने का आरोप भी लगाया था। इसके समर्थन में न्यायालय में एक शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया।
अधिवक्ताओं ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए, यह दावा करते हुए कि पॉक्सो एक्ट के नियमों का उल्लंघन किया गया। प्रस्तुत साक्ष्यों में एक वीडियो भी शामिल था जिसमें पीड़िता को पुलिसकर्मियों और सीओ सिटी कमलेश कुमार के दबाव में ले जाते हुए दिखाया गया।
इसके अलावा, डीएनए रिपोर्ट से संबंधित साक्ष्यों में भी खामियां बताई गईं। अधिवक्ताओं का कहना था कि बिना नवाब के हस्ताक्षर के नमूने जांच के लिए भेजे गए, जिससे डीएनए रिपोर्ट की प्रामाणिकता पर सवाल खड़े हुए।
जमानत के बाद भी नवाब की रिहाई फिलहाल संभव नहीं है क्योंकि उन पर गैंगस्टर एक्ट का मामला भी दर्ज है। इस मामले में जमानत मिलने तक उन्हें जेल में ही रहना होगा।
गौरतलब है कि सपा नेता नवाब सिंह यादव को 11 अगस्त 2024 को दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ दर्ज मामला कन्नौज में लंबे समय से चर्चा का विषय बना हुआ है।
नवाब के अधिवक्ताओं ने गैंगस्टर एक्ट में भी जल्द जमानत की उम्मीद जताई है। वहीं, इस मामले को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भी चर्चा तेज है।
पॉक्सो एक्ट में नवाब को सशर्त जमानत, गैंगस्टर एक्ट में रिहाई पर संशय
