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Wednesday, July 16, 2025
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वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024: एक कानूनी सुधार या राजनीतिक विवाद?

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लोकसभा में आज पेश होने वाले वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 ने देश की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। सरकार इसे वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए जरूरी बता रही है, जबकि विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के रूप में देख रहा है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, AIMIM और INDIA गठबंधन के अन्य दलों ने इस विधेयक के खिलाफ संसद में कड़ा विरोध करने की रणनीति बनाई है।
वक्फ संपत्तियां वे भूमि, भवन या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिन्हें इस्लामिक धार्मिक और सामाजिक कल्याण के लिए समर्पित किया जाता है। ये संपत्तियां वक्फ बोर्ड के अधीन होती हैं और मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों, दरगाहों, अनाथालयों, और समाजसेवा से जुड़े कार्यों के लिए उपयोग की जाती हैं। भारत में वक्फ बोर्ड अधिनियम, 1995 के तहत इन संपत्तियों का प्रबंधन किया जाता है।

वर्तमान में, भारत में लगभग 6 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियां पंजीकृत हैं, जिनकी कुल कीमत हजारों करोड़ रुपये बताई जाती है। इनमें से कई संपत्तियां अवैध कब्जे में हैं या ठीक से इस्तेमाल नहीं हो पा रही हैं। सरकार का कहना है कि इन संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कानूनी ढांचे में बदलाव जरूरी है।
केंद्र सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्डों में बड़े पैमाने पर घोटाले और भ्रष्टाचार हो रहे हैं, जिससे इन संपत्तियों का सही उपयोग नहीं हो रहा है। कानून मंत्री अरुण राम मेघवाल ने कहा, “देश में हजारों एकड़ वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग हो रहा है। कई जगहों पर इन पर अवैध कब्जे हैं और घोटाले हो रहे हैं। यह विधेयक पारदर्शिता लाने और गलत इस्तेमाल को रोकने का प्रयास है। इससे कोई भी धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित नहीं होगी।”

भाजपा के अन्य नेताओं ने भी विधेयक का समर्थन करते हुए इसे मुस्लिम समुदाय के हित में बताया है। उनका कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की रक्षा करेगा और उन्हें अनियमितताओं से बचाएगा।

विपक्षी दलों का मानना है कि यह विधेयक सरकार को वक्फ संपत्तियों पर सीधा नियंत्रण स्थापित करने की शक्ति देगा, जिससे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों का हनन होगा। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “सरकार वक्फ बोर्ड को कमजोर कर, इसकी संपत्तियों को हड़पना चाहती है। यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 के खिलाफ है। मुस्लिम समाज इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा।”

कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने कहा, “यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के बजाय, उन्हें निजीकरण की ओर धकेलने की कोशिश है। भाजपा सरकार हमेशा अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कुचलने का प्रयास करती रही है।”
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, “सरकार इस विधेयक के जरिए वक्फ बोर्डों की संपत्तियों को निजी कंपनियों को सौंपने की योजना बना रही है। यह एक राजनीतिक साजिश है, जिसे हम सफल नहीं होने देंगे।”
रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा, “यह विधेयक मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों के मामलों में सरकार की दखलंदाजी बढ़ाएगा और समुदाय को नुकसान पहुंचाएगा। इसे किसी भी हाल में पास नहीं होने दिया जाएगा।”
यदि यह विधेयक पारित होता है, तो यह वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा। इसके तहत:वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन अधिक पारदर्शी बनाया जाएगा।अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए जाएंगे।सरकार को वक्फ बोर्डों के कामकाज पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होगा।कई संपत्तियों के पुनर्निर्धारण और प्रशासनिक पुनर्गठन की संभावना बढ़ेगी।हालांकि, विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला करार दे रहा है और यह मामला अदालतों में भी चुनौती झेल सकता है।

यह विधेयक केवल कानूनी बदलाव नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। भाजपा सरकार इसे पारदर्शिता और सुशासन की दिशा में एक कदम बता रही है, जबकि विपक्ष इसे मुस्लिम वोट बैंक को प्रभावित करने के प्रयास के रूप में देख रहा है। यदि यह विधेयक पारित होता है, तो सरकार को राज्यसभा में भी इसे पारित कराने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर दोनों पक्षों की अपनी-अपनी दलीलें हैं। सरकार इसे सुधारात्मक कदम बता रही है, जबकि विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के रूप में देख रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विधेयक संसद में पारित होता है या नहीं और यदि होता है, तो इसका मुस्लिम समुदाय और देश की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है। इस विधेयक के दीर्घकालिक प्रभावों का आकलन केवल इसके क्रियान्वयन के बाद ही किया जा सकेगा।

इस फेमस एक्टर ने 65 वर्ष में दुनिया को कहा अलविदा

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हॉलीवुड के मशहूर अभिनेता वैल किल्मर का 65 साल की उम्र में निधन हो गया। वे लंबे समय से गले के कैंसर से जूझ रहे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी मौत निमोनिया की वजह से हुई। अपने दमदार अभिनय और गहरी आवाज़ के लिए पहचाने जाने वाले किल्मर ने कई प्रतिष्ठित फिल्मों में काम किया, जिनमें टॉप गन, बैटमैन फॉरएवर और द डोर्स शामिल हैं।

वैल किल्मर ने अपने करियर की शुरुआत रंगमंच से की और फिर 1980 के दशक में हॉलीवुड में पहचान बनाई। 1986 में ‘टॉप गन’ में टॉम क्रूज़ के साथ आइसमैन का किरदार निभाकर उन्होंने जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की। इसके बाद 1991 में ‘द डोर्स’ में रॉक बैंड ‘द डोर्स’ के लीड सिंगर जिम मॉरिसन का किरदार निभाकर वे चर्चाओं में आ गए।

1995 में ‘बैटमैन फॉरएवर’ में ब्रूस वेन यानी बैटमैन की भूमिका निभाने के बाद उनकी लोकप्रियता चरम पर पहुंची। हालांकि, यह उनका अकेला बैटमैन प्रोजेक्ट था क्योंकि बाद में जॉर्ज क्लूनी ने यह भूमिका निभाई। 2014 में किल्मर को गले के कैंसर का पता चला, जिससे उनकी आवाज़ प्रभावित हुई। उन्होंने कई सर्जरी और ट्रीटमेंट कराए, लेकिन बोलने की क्षमता कमजोर हो गई। इसके बावजूद, उन्होंने 2021 में आई डॉक्यूमेंट्री ‘VAL’ में अपने संघर्ष को साझा किया।

दुर्दांत अपराधी माफिया अनुपम दुबे ने अपनों पर भी बरसाईं थीं गोलियां

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सगे चाचा कौशल किशोर को चाची सहित मैनपुरी के बेबर में 16 गोलियों से भून डाला था, इंस्पेक्टर राम निवास हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा पाकर मथुरा जेल में है बंद, पुलिस ने 2005 के मामले में फिर शुरू की जांच, चचेरी बहन ने दर्ज कराया था मुकदमा

यूथ इण्डिया (शरद कटियार)

फर्रूखाबाद। उत्तर प्रदेश का फर्रुखाबाद जिला पिछले तीन दशकों से अपराध की आंधी में झूलता रहा है। इस अंधेरे साम्राज्य का बेताज बादशाह कोई और नहीं बल्कि कुख्यात माफिया अनुपम दुबे है। अपने भाइयों के साथ मिलकर उसने फर्रुखाबाद और आसपास के इलाकों में ऐसा आतंक फैलाया कि लोग उसके नाम से ही कांपने लगे। हत्या, रंगदारी, लूट, सरकारी ठेकों पर कब्जा और राजनैतिक साजिशें—यह सब उसकी जिंदगी का हिस्सा बन चुके थे।

2005 का वो काला दिन जब गोलियों से दहला मैनपुरी

6 अगस्त 2005 की शाम, बेवर कस्बे की गलियां गोलियों की आवाज़ से गूंज उठीं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, अनुपम दुबे और उसके गुर्गों ने अपने ही सगे चाचा-चाची कौशल किशोर दुबे और उनकी पत्नी कृष्णा देवी पर ताबड़तोड़ 16 गोलियां बरसाईं। यह हमला इतने सुनियोजित तरीके से किया गया था कि किसी को बचने का मौका तक नहीं मिला। घटना के बाद इलाके में सनसनी फैल गई, लोग घरों में दुबक गए और पुलिस भी सहम गई थी। इस मामले में अनुपम की चचेरी बहन और मृतक दंपत्ति की पुत्री राधिका दुबे ने आरोप लगाया था कि गत वर्ष उसके चाचा लक्ष्मी नारायण की हत्या कर दी गई थी। जिसमें उसके पिता कौशल किशोर दुबे को अभियुक्त बनाया गया था। उसके पिता ने उच्च न्यायालय से गिरफ्तारी से बचने के लिए स्टे प्राप्त कर लिया था। उसके ताऊ महेश दुबे के पुत्र अनुपम दुबे और अनुराग दुबे डब्बन ने उसके पिता को चाचा की हत्या में झूठा फंसाया था। उच्च न्यायालय से स्टे ले आने के बाद से ही यह लोग पिता से रंजिश मानने लगे थे। घटना वाली शांम माता पिता भाई शिवम व प्रियंका नबीगंज में सर्वेश के मकान पर गये थे। यह सभी लोग घर के बाहर बैठे थे। तभी उसका भाई डब्बन साथी सरोज शर्मा पुत्र ओम प्रकाश निवासी सनोज थाना मोहम्मदाबाद, बॉबी जाटव निवासी कर्नलगंज और निजी अंगरक्षक लालू व नरेन्द्र पुत्रगण जितेन्द्र पाण्डेय हाल निवासी दाल मंडी फतेहगढ़ बंदूकों व रायफलों से लैस होकर आये और गोलियां बरसानी शुरू कर दी। इसमें उसके पिता की मौके पर ही मौत हो गई। मां कृष्णा देवी को मैनपुरी जिला अस्पताल में मृत घोषित किया गया।
यह कोई पहला मामला नहीं था—अनुपम का आपराधिक इतिहास पहले से ही लहूलुहान था।

थर्रा उठा था मैनपुरी और फर्रूखाबाद

6 अगस्त 2005 की वह शाम दहलाने वाली थी। दोनो जिला थर्रा गये थे, उस वक्त मैनपुरी के एसपी सत्यनारायण, एएसपी एमपी वर्मा, सीओ भोगांव श्रवण कुमार भी हस्तप्रत थे।

इंस्पेक्टर की हत्या में बसपा नेता को उम्रकैद, एक लाख का जुर्माना, जानें  दुर्दांत माफिया अनुपम दुबे की क्राइम कुडली? | BSP leader Anupam Dubey  sentenced to life ...

इस जघन्य हत्या के मामले में हाल ही में मैनपुरी में दोबारा जांच के आदेश हुए हैं। वर्षों बाद जब पीडि़त परिवार ने न्याय की गुहार लगाई, तब जाकर पुलिस ने मामले की दोबारा जांच शुरू की। यह दर्शाता है कि किस तरह अपराध और राजनीति की साठगांठ के चलते वर्षों तक यह केस दबा रहा।

चचेरे भाई सीतूू को मिली सुरक्षा

चाचा चाची की हत्या के मामले में वर्षो वाद दोबारा हुए जांच के आदेश के बाद माफिया अनुपम दुबे के चचेरे भाई सीतू दुबे को फतेहगढ़ पुलिस ने एक दरोगा और चार सिपाही की बड़ी सुरक्षा का कबच दिया है। जिला प्रशासन इस मामले में पूरी निष्पक्षता के साथ काम कर रहा है।

इंस्पेक्टर रामनिवास यादव की हत्या—अनुपम की दहशत का सबसे बड़ा उदाहरण

1996 में फर्रुखाबाद के कसरट्टा मोहल्ले में एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे प्रदेश में खलबली मचा दी। इंस्पेक्टर रामनिवास यादव, जो अपनी निडर छवि के लिए जाने जाते थे, उन्हें सरेआम गोलियों से भून दिया गया। पुलिस पर हमले की यह घटना उत्तर प्रदेश के आपराधिक इतिहास में दर्ज हो गई। इसके बाद भी अनुपम का आतंक कम नहीं हुआ, बल्कि वह सत्ता और अपराध के गठजोड़ का जीता-जागता उदाहरण बनता चला गया। 27 साल बाद, 2023 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, लेकिन इतने लंबे समय तक उसने राजनीति और प्रशासनिक लूपहोल्स का फायदा उठाकर अपना दबदबा बनाए रखा।

अनुपम दुबे का आपराधिक इतिहास—डर का दूसरा नाम

अनुपम दुबे के खिलाफ कुल 82 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, हत्या के प्रयास, फिरौती, अवैध हथियार रखने और सरकारी टेंडरों में धांधली जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। इनमें से 22 मामले हत्या और हत्या के प्रयास से जुड़े हैं, जबकि 12 मामले रंगदारी और जमीन कब्जाने के हैं। वर्ष 2000 से 2015 के बीच उसने प्रशासन और पुलिस की आंखों में धूल झोंकते हुए राजनीतिक ताकत भी हासिल कर ली।

दुबे बंधुओं का क्राइम सिंडिकेट

अनुपम दुबे अकेला नहीं था। उसके तीन भाई—अनुराग, अमित और अभिषेक—भी अपराध की दुनिया में उसी की तरह कुख्यात रहे।
अनुराग दुबे (डब्बन)- जमीन कब्जाने और धोखाधड़ी के मामलों में फरार, सुप्रीम कोर्ट तक उसकी जमानत याचिका पहुंच चुकी है।
अमित दुबे (बब्बन)- मोहम्मदाबाद का पूर्व ब्लॉक प्रमुख, जो फिलहाल हरदोई जेल में बंद है।
अभिषेक दुबे (जीतू)- कई आपराधिक मामलों में वांछित और अभी भी फरार।

इन चारों भाइयों ने मिलकर पुलिस, प्रशासन और राजनीति में अपनी पकड़ बना रखी थी। इनके इशारे पर सरकारी ठेके, भू-माफियागिरी, सुपारी किलिंग और रंगदारी वसूली होती थी।

कानूनी शिकंजा—113 करोड़ की संपत्ति जब्त, गैंग का खात्मा?

हाल के वर्षों में प्रशासन ने इस गैंग पर नकेल कसने के लिए कड़े कदम उठाए। पुलिस ने अनुपम की 113 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति जब्त कर ली, जिसमें कई होटल, फार्महाउस और व्यापारिक प्रतिष्ठान शामिल थे। इसके अलावा, 27 सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया और 34 बैंक खातों को फ्रीज किया गया।

Anupam Dubey Farrukhabad: कौन है अनुपम दुबे, ज‍िसके खि‍लाफ दर्ज हैं 63  मुकदमे; ध्‍वस्‍त क‍िया गया करोड़ों का आलीशान होटल - know who is anupam dubey  bsp leader farrukhabad

अनुपम दुबे का नेटवर्क और राजनीतिक पकड़

अनुपम दुबे का नेटवर्क सिर्फ अपराध तक सीमित नहीं था, बल्कि उसका प्रभाव राजनीति में भी मजबूत था। उसने तीन बार जिला पंचायत चुनाव लड़ा, जिसमें एक बार विजयी भी रहा। उसकी पहुंच कई बड़े राजनेताओं तक थी, जिससे उसे पुलिस और प्रशासन में संरक्षण मिलता रहा। सूत्रों के अनुसार, 2017 से पहले की सरकारों में उसे खुलेआम संरक्षण मिला था और उसकी अवैध गतिविधियों पर कार्रवाई करने से पुलिस भी बचती थी।

Anupam Dubey Farrukhabad Archives - Today News India

अनुपम दुबे और उसके भाइयों का आतंक दशकों तक इस क्षेत्र के माथे पर एक कलंक की तरह रहा है। लेकिन अब जब प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है, तो फर्रुखाबाद के लोग एक नए भविष्य की उम्मीद कर सकते हैं। क्या यह शहर अब अपराधमुक्त हो पाएगा? या फिर एक नए माफिया की एंट्री इस जगह को फिर से अपराध की दलदल में धकेल देगी?अब देखना यह है कि कानून की यह कार्रवाई कितनी दूर तक जाती है और क्या फर्रुखाबाद सच में भयमुक्त हो पाएगा या नहीं।

जिलाधिकारी ने हरी झंडी दिखाकर संचारी रोग नियंत्रण अभियान का किया शुभारंभ

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जनपद में संचारी रोग नियंत्रण अभियान 01 अप्रैल से 30 अप्रैल तक, वहीं दस्तक अभियान 10 अप्रैल से 30 अप्रैल के मध्य चलेगा

शाहजहांपुर। जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान रैली को कलेक्ट्रेट परिसर से हरी झंडी दिखाकर अभियान का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर जिलाधिकारी ने आमजन से अपील की कि संचारी रोगों (डेंगू, मलेरिया, चिकुनगुनिया, दिमागी बुखार आदि) को हराना है, ऐसे में मच्छर जनित बीमारियों से बचाव हेतु घरों के आस-पास साफ-सफाई रखे, मच्छर से बचाव के लिए पूरी बाह वाली कमीज और फुल पैन्ट पहने, स्वच्छ पेयजल ही पिये, आस-पास जलजमाव न होने दें।

उन्होंने कहा गमलों, क्यारियों की नियमित सफाई करें, पुराने टायर, कबाड़ में पानी का जमाव न होने दे, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें, पानी की टंकी को ढक कर रखें, नालियों की सफाई रखें, हैंडपंप के पास पानी जमने ना दे, कूलर फ्रिज की ट्रे की साप्ताहिक सफाई करें।

उन्होंने कहा की इस अभियान के तहत विभिन्न विभागों के समन्वय से साफ-सफाई, झाड़ियों की कटाई, नालियों के साफ सफाई, एंटी लार्वा छिड़काव, फागिंग व अन्य संबंधित गतिविधियां नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में कराई जाएगी, साथ ही साथ इस अभियान के दौरान आशा, आंगनवाड़ी घर-घर जाकर लोगों को संचारी रोग नियंत्रण अभियान, दस्तक अभियान के बारे में जागरूक भी करेंगी। जनपद में संचारी रोग नियंत्रण अभियान 01 अप्रैल से 30 अप्रैल तक वहीं दस्तक अभियान 10 अप्रैल से 30 अप्रैल के मध्य चलेगा।

इस मौके पर नगर आयुक्त डॉ0 विपिन कुमार मिश्र, मुख्य विकास अधिकारी डॉ0 अपराजिता सिंह मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 विवेक कुमार मिश्रा सहित अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।

पुलिस तथा फायर ब्रिगेड ने समय रहते किया भीषण आग पर काबू

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👉 अतिव्यस्त झुमका तिराहे पर लगी आग ले सकती थी विकराल रूप।
👉 आग से चारों ओर दहशत एवं अफरातफरी का माहौल।

बरेली। मेग्नेट सिटी का प्रमुख एवं अतिव्यस्त झुमका तिराहे पर सोमवार दोपहर भीषण आग लगने से इलाके में लोग सकते में आ गए। जिससे वहां अफरातफरी के साथ ही हड़कंप मच गया। अचानक लगी आग से परसाखेड़ा औद्योगिक क्षेत्र के पास स्थित तीन दुकानों में आग इतनी तेजी से फैली कि देखते ही देखते लाखों का सामान धूं-धूं कर जलकर राख हो गया। गनीमत रही कि दमकल कर्मियों ने समय रहते आग पर काबू पा लिया अन्यथा यह घटना विकराल रूप धारण कर सकती थी।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक दोपहर करीब 12 बजे हबीब खां की परचून की दुकान में अचानक आग लग गई। देखते ही देखते दुकान में लगी आग की लपटें बगल में उन्हीं की इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान को अपनी चपेट में लेते हुए समीप ही तहसील खान की किराना दुकान तक पहुंच गईं। हादसे का खतरा उस समय और अधिक बढ़ गया क्योंकि तीनों दुकानें पेट्रोल पंप के बेहद करीब थीं।

अफरा-तफरी के बीच रेस्क्यू ऑपरेशन

आग लगते ही पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय लोगों ने तुरंत फायर ब्रिगेड सहित पुलिस को सूचना दी। सीबीगंज थाने के प्रभारी निरीक्षक सुरेश चंद्र गौतम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने दमकल की दो गाड़ियां बुलवाईं। करीब आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका।

व्यापारियों में दहशत, प्रशासन करेगा जांच

इस हादसे में तीनों दुकानों का लाखों रुपये का सामान जलकर राख हो गया। प्रारंभिक जांच में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है, हालांकि प्रशासन इसकी विस्तृत जांच कर रहा है। हादसे के बाद व्यापारियों में दहशत का माहौल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर दमकल की गाड़ियां समय पर न पहुंचतीं, तो आग पेट्रोल पंप तक पहुंच सकती थी और स्थिति भयावह हो सकती थी।

व्यापारियों की मांग

आग की घटना से दुकानदार सहमे हुए हैं। व्यापारी संघ ने प्रशासन से मांग की है कि इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की जाए और अग्निशमन उपायों को मजबूत किया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

गिरोह के 5 सदस्य गिरफ्तार, इनामी बदमाशों पर नजर

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बरेली । पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर अजय बाल्मीकि की हत्या के मामले में शामिल सट्टा माफिया गिरोह के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 5 आरोपियों को गिरोहबद्ध अपराधी”घोषित किया है। एसएसपी अनुराग आर्य के निर्देश पर बारादरी थाना क्षेत्र में गिरोह के सदस्यों की अलग-अलग आईडी बनाई गई हैं, साथ ही उनके परिजनों और मददगारों का डेटा भी जमा किया गया है। अजय बाल्मीकि ने सट्टेबाजी और जुए के धंधे में गिरोह की “बादशाहत” को चुनौती दी थी।

आरोपियों को डर था कि अजय उनके गैरकानूनी कारोबार को पुलिस के सामने उजागर कर रहे हैं। बारादरी थाना क्षेत्र में अजय को ताबड़तोड़ गोलियों से भून दिया गया था। जमानत के बाद फिर सक्रिय गिरोह के सदस्य जमानत मिलने के बाद दोबारा सट्टेबाजी और जुए के धंधे में लौट आए हैं। भगवान दास और जगमोहन पर सितंबर 2023 में *25-25 हजार रुपये* का इनाम रखा गया था।

निगरानी तंत्र:गिरोह के सभी सदस्यों के फोटो, आपराधिक रिकॉर्ड और जमानतदारों की सूची डीसीआरबी को सौंपी गई है। एसएसपी ने कहा”इस गिरोह के किसी भी सदस्य या उनके सहयोगी द्वारा गलत कदम उठाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”* उस पर 11 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, सट्टेबाजी और जबरन वसूली शामिल है। पुलिस ने उसकी हिस्ट्रीशीट तैयार करने का काम शुरू कर दिया है।

पुलिस ने स्थानीय लोगों से गिरोह की गतिविधियों की सूचना देने की अपील की है। साथ ही, गैंग के सदस्यों के संपर्क में रहने वालों को *चेतावनी* दी गई है कि उन पर भी कानूनी कार्रवाई होगी।