कर्तव्य पटेल हत्याकांड से लेकर खासपुर तक – जहां अन्याय होता है, वहां आशीष पटेल मजबूती से खड़े नजर आते हैं
भरत चतुर्वेदी
उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय बाद कोई ऐसा नेता उभरा है, जो न सिर्फ पिछड़े वर्ग की आवाज बनकर उभरा है, बल्कि समाज के दुख-दर्द में भी सबसे आगे दिखाई दे रहा है। मंत्री आशीष पटेल, जो अपना दल (एस) के प्रमुख चेहरा हैं, आज कुर्मी समाज के लिए एक उम्मीद, एक दिशा और एक निडर नेतृत्व के प्रतीक बन चुके हैं।
कर्तव्य पटेल की हत्या पर सन्नाटा तोड़ा, पुलिस को दी सख्त चेतावनी
जब कर्तव्य पटेल की निर्मम हत्या हुई और प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही थी, तब समाज में निराशा गहराने लगी थी। कुर्मी क्षत्रिय सभा ने उपमुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा, मगर नतीजा सिफर रहा। तभी मंत्री आशीष पटेल की फटकार और हस्तक्षेप से पुलिस सक्रिय हुई और मुख्य आरोपी की रातोंरात गिरफ्तारी हुई। यह घटना साबित करती है कि यदि नेतृत्व मजबूत हो, तो व्यवस्था को भी झुकना पड़ता है।
खासपुर कांड में दबंगों को जेल भेजा – साबित किया, कानून सबके लिए बराबर
मंत्री आशीष पटेल के नेतृत्व का प्रभाव केवल भाषणों तक सीमित नहीं है। हाल ही में कानपुर नगर के बिल्हौर थाना क्षेत्र के गांव खासपुर में एक दबंग पूर्व प्रधान द्वारा पूरे गांव को परेशान करने का मामला सामने आया था। जब स्थानीय लोग निराश हो चुके थे, तब मंत्री पटेल ने न सिर्फ कार्रवाई सुनिश्चित करवाई, बल्कि दोषियों को जेल की सलाखों के पीछे भी पहुंचाया। यह वह उदाहरण है, जिसने उनके नेतृत्व को आमजन के दिलों में स्थापित किया।
हर जाति नहीं, हर ‘अपने’ के साथ खड़े हैं आशीष पटेल
आज लखनऊ स्थित उनके आवास पर समाज के सैकड़ों लोग सिर्फ न्याय की उम्मीद लेकर नहीं, बल्कि भरोसे की भावना के साथ पहुंचते हैं। वह भरोसा, जो वर्षों से खो गया था। मंत्री पटेल ने दिखा दिया है कि राजनीति सिर्फ कुर्सी पाने का साधन नहीं, बल्कि अपनों की पीड़ा को दूर करने का संकल्प भी हो सकता है।
कर्तव्य पटेल कांड के बाद जिस प्रकार कुर्मी समाज एकजुट होकर सामने आया, और आशीष पटेल ने बिना किसी राजनीतिक लाग-लपेट के पूरी ताकत से हस्तक्षेप किया – यह दिखाता है कि वह समाज की भावनाओं को समझते हैं, और हर अन्याय के विरुद्ध लड़े बिना पीछे नहीं हटते।
उनकी यह सक्रियता उन्हें सिर्फ कुर्मी समाज ही नहीं, पूरे पिछड़े वर्ग का सशक्त नेता बना रही है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछड़े वर्ग को लेकर लंबे समय से सिर्फ वादे होते रहे, मगर पहली बार ऐसा नेतृत्व सामने आया है जो अपनों के लिए फैसले भी करवा रहा है। मंत्री आशीष पटेल आज राजनीति में जनविश्वास और जनसंघर्ष के संतुलन का जीवंत उदाहरण हैं।
“जब समाज जागता है और नेतृत्व दृढ़ होता है, तो अन्याय टिक नहीं पाता। मंत्री आशीष पटेल की सक्रियता आने वाले समय में समाज और सत्ता के बीच की दूरी को खत्म कर सकती है।”