यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। जिले में प्रभारी मंत्री जयवीर सिंह पर लग रहे जातिवाद के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए जानकारों का कहना है कि यह पूरी तरह से सोची-समझी राजनीतिक साजिश है। हाल ही में इंस्पेक्टर अमोद कुमार सिंह की तैनाती को लेकर हो रहे विरोध को भी इसी साजिश का हिस्सा माना जा रहा है, जिसे चंद ब्राह्मण नेताओं के इशारे पर अंजाम दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार, मंत्री जयवीर सिंह पर आरोप लगाने और भाजपा जिला कार्यालय पर हुए हंगामे के पीछे कुछ बड़े राजनीतिक चेहरों का हाथ है। बताया जा रहा है कि इन नेताओं का उद्देश्य माफिया अनुपम दुबे पर की गई कार्रवाई को रोकने और अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति करना है।
इंस्पेक्टर अमोद कुमार सिंह ने जब फतेहगढ़ कोतवाल और मऊदरवाजा थाने के प्रभारी रहते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप माफिया अनुपम दुबे के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की थी, तब से ही कुछ राजनीतिक ताकतें उनके खिलाफ माहौल बनाने में जुटी हैं। इन नेताओं को माफिया और अपराधियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई खटक रही है, और अब वे जातिवाद का सहारा लेकर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस हंगामे के पीछे जिले के कुछ बड़े ब्राह्मण नेता भी सक्रिय बताए जा रहे हैं, जो अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने के लिए भाजपा के अंदर गुटबाजी को हवा दे रहे हैं। ऐसे में मंत्री जयवीर सिंह पर जातिवादी राजनीति के आरोप लगाकर उनके कामों को बाधित करने की कोशिश की जा रही है, जबकि असल मुद्दा अपराधियों के खिलाफ की गई सख्त कार्रवाई का है।
मंत्री जयवीर सिंह ने स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य हमेशा से कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखना रहा है, और वह किसी भी जाति या वर्ग के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा, “यह सारा विरोध राजनीति से प्रेरित है और मेरा काम सभी वर्गों के लिए समान रूप से सेवा करना है। अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी, चाहे वे किसी भी वर्ग से हों।”
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह विरोध असल में अपराधियों और माफियाओं के संरक्षण में लगे कुछ नेताओं की चाल है, जो कानून के चंगुल से बचने के लिए इस तरह के विवादों को हवा दे रहे हैं।