– जीरो टॉलरेंस नीति ज़मीनी स्तर पर फेल, जिला प्रशासन मौन
फर्रुखाबाद | जिले में अफसरों के बदलते ही माफिया अनुपम दुबे और उसके गुर्गों के हौसले फिर बुलंद हो गए हैं। पहले जिस गैंग के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही थी, अब उसी नेटवर्क को खुली छूट मिलती दिख रही है। प्रशासन की खामोशी और कार्रवाई का ठप पड़ना सवालों के घेरे में है।
अनुपम दुबे गैंग के खास गुर्गों पर कार्रवाई का सिलसिला अचानक रुक गया है। हालात ये हैं कि अब ये अपराधी न केवल पीड़ितों को धमका रहे हैं, बल्कि अधिवक्ताओं तक को निशाना बना रहे हैं। हाल में एक वकील को धमकी दिए जाने का मामला सामने आया है, मगर प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है।
योगी सरकार की बहुचर्चित जीरो टॉलरेंस नीति फर्रुखाबाद में ज़मीनी हकीकत से कोसों दूर है। पहले जहां अपराधियों की संपत्तियां ज़ब्त की जा रही थीं, अब वहीं माफिया के लोगों को खुली छूट मिल रही है। जिला स्तर पर न कोई सुनवाई हो रही है, न ही कोई ठोस कार्रवाई दिखाई दे रही है।
गुर्गों की धमकियों और प्रशासनिक सुस्ती ने आम जनता को असुरक्षित कर दिया है। वकीलों में खासा आक्रोश है कि न्याय की लड़ाई लड़ने वाले भी सुरक्षित नहीं। इससे अपराधियों के हौसले और बुलंद हो रहे हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सत्ता परिवर्तन के साथ ही माफिया को संरक्षण मिल रहा है? आखिर किसके दबाव में प्रशासन ने कार्रवाई बंद की? क्या जीरो टॉलरेंस सिर्फ कागजों और भाषणों तक सीमित है?
यदि समय रहते प्रशासन ने सख्त कदम नहीं उठाए, तो फर्रुखाबाद में माफियाराज की वापसी तय मानी जा रही है। जीरो टॉलरेंस की नीति तभी सार्थक मानी जाएगी, जब उसका असर ज़मीन पर दिखाई दे।