नई दिल्ली। कोलकाता में 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या (Kolkata Rape Case) की घटना के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। डॉक्टर हड़ताल पर थे और लगातार अपनी सुरक्षा की मांग कर रहे थे। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चिकित्सा पेशेवरों के लिए हिंसा की रोकथाम और सुरक्षित कार्य स्थितियों पर सिफारिशें करने के लिए 10 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स गठित करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली है और अब वे काम पर लौट आएंगे।
डॉक्टरों का कहना है कि हम हड़ताल को 45 दिन के लिए होल्ड कर रहे हैं, अभी वापस ले रहे हैं। देखते हैं कि क्या कार्रवाई हो रही है। डॉक्टर गौतम का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी हर बात सुनी है इसलिए हम स्ट्राइक होल्ड कर रहे हैं। अब सभी डॉक्टर काम पर लौटेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के तुरत बाद अलग-अलग डॉक्टर संगठनों ने एक बैठक बुलाई थी। उन्होंने हड़ताल वापस लेने के संकेत दे दिए थे। दरअसल, 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर (Kolkata Rape Case)का शव मिला था, जिसके शव पर कई चोट के निशान थे। इस घटना के बाद देशभर में रोष व्याप्त हो गया और डॉक्टर सड़क पर उतर आए। उन्होंने हड़ताल कर दी, जिससे अस्पतालों का कामकाज ठप हो गया और सिर्फ इमरजेंसी सुविधा उपलब्ध रही। डॉक्टर को सबसे ज्यादा अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही थी।
10 सदस्यीय NTA तीन सप्ताह में सौंपेगा अंतरिम रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा पर अहम कदम उठाते हुए 10 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया। अब एनटीए लिंग आधारित हिंसा को रोकने, ट्रेनी डॉक्टरों, निवासी, गैर-निवासी डॉक्टरों के लिए कार्य योजना बनाएगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि टास्क फोर्स तीन सप्ताह के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट पेश करेगी।
महिला डॉक्टरों की सुरक्षा राष्ट्रीय हित का मसला- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों का पैनल देश भर में मेडिकल प्रोफेशनल्स और हेल्थ केयर वर्कर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गाइडलाइन तैयार करेगा। डॉक्टरों और महिला डॉक्टरों की सुरक्षा राष्ट्रीय हित और समानता के सिद्धांत का मामला है।
‘आप काम पर लौटें और आपकी सुरक्षा की जिम्मेदारी अब हम देखेंगे’, प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से SC ने कहा
देश किसी और बलात्कार की घटना का इंतजार नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था और मामले को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई के लिए लिस्ट किया।