यूथ इंडिया संवाददाता
प्रयागराज, फर्रुखाबाद, कायमगंज। कायमगंज नगर पालिका परिषद के बहुचर्चित भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपी राम सिंह को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है। राम सिंह पर आरोप था कि उन्होंने मनमाने ढंग से नियुक्तियों को प्रभावित किया और अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को नौकरी दिलाई। इस प्रक्रिया में उन्होंने पालिका के अधिकारियों को अपने इशारों पर नचाया और भारी भ्रष्टाचार को अंजाम दिया।
राम सिंह चार साल से फरार चल रहे थे। लगातार फरार रहने के बाद उन्होंने 19 सितंबर 2023 को आत्मसमर्पण किया। इस दौरान पुलिस और प्रशासन ने कई बार उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश की, लेकिन वह हमेशा बच निकलते रहे। आखिरकार, लंबी फरारी के बाद उन्होंने न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया था ।
हाई कोर्ट ने दी जमानत, ईओ पर कार्रवाई
इलाहाबाद हाई कोर्ट की जस्टिस मयंक कुमार जैन की पीठ ने राम सिंह को जमानत दी। राम सिंह की ओर से अधिवक्ता विक्रांत सिंह परिहार ने पक्ष रखा और प्रभावी दलीलें पेश कीं, जिससे राम सिंह को जमानत मिलने में सफलता मिली। इसके साथ ही, कोर्ट ने ईओ प्रमोद कुमार श्रीवास्तव को दोषी मानते हुए उन्हें दंडित किया और उनके 10 फीसदी वेतन को पालिका में जमा करने के आदेश दिए।
राम सिंह पर आरोप था कि उन्होंने नगर पालिका परिषद के विभिन्न पदों पर भर्ती प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं कीं। यह नियुक्तियां 2019-2020 के बीच की गई थीं, जहां नियमों को ताक पर रखकर उम्मीदवारों को चुना गया। इन नियुक्तियों में पारदर्शिता की कमी के कारण कई सवाल उठे थे, और मामला अंतत: कोर्ट में पहुंचा।
राम सिंह की जमानत से जहां एक तरफ उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है, वहीं दूसरी तरफ नगर पालिका परिषद में भर्ती घोटाले की जांच की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। न्यायालय के आदेश के बावजूद, जनता में यह धारणा है कि इस घोटाले में और भी बड़े नाम शामिल हो सकते हैं, जिन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
यह मामला कायमगंज और आसपास के इलाकों में चर्चा का विषय बना हुआ है, और नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर निगाहें टिकी हुई हैं।