हाल ही में कन्नौज रेलवे स्टेशन (Kannauj Railway Station) पर निर्माणाधीन बिल्डिंग के लेंटर के गिरने की घटना ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। इस हादसे में 25 मजदूर घायल हो गए, जो शटरिंग के गिरने के कारण लेंटर के मलबे में दब गए थे। यह घटना न केवल निर्माण कार्यों में लापरवाही की पोल खोलती है, बल्कि इससे जुड़े सभी पक्षों की जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठाती है। रेलवे ने मामले की जांच के लिए तीन उच्चस्तरीय समितियां गठित की हैं, और फर्रुखाबाद जीआरपी थाने में ठेकेदार और इंजीनियर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
कन्नौज रेलवे स्टेशन पर बिल्डिंग का लेंटर डाला जा रहा था। निर्माण कार्य के दौरान शटरिंग ढह गई और 25 मजदूर मलबे में दब गए। यह हादसा उस समय हुआ जब मजदूर लेंटर को मजबूत करने के लिए काम कर रहे थे। घटना के तुरंत बाद राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया, और घायल मजदूरों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया। रेलवे गतिशक्ति निदेशालय के एक्सईएन विपुल माथुर की शिकायत पर ठेकेदार और इंजीनियर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
हादसे के बाद की प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि शटरिंग की गुणवत्ता और निर्माण सामग्री के मानकों की अनदेखी की गई थी। ठेकेदार और इंजीनियर की जिम्मेदारी थी कि निर्माण प्रक्रिया को तय मानकों के अनुसार सुनिश्चित किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
रेलवे एक्ट और बीएनएस की धाराओं के तहत मुकदमा
फर्रुखाबाद जीआरपी थाने में रेलवे एक्ट की दो धाराओं और बीएनएस की तीन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें लापरवाही, मानकों का उल्लंघन और मजदूरों की सुरक्षा की अनदेखी जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। यह मुकदमा न केवल आरोपियों को कानूनी तौर पर जवाबदेह ठहराने का प्रयास है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक सख्त संदेश भी है।
रेलवे की उच्चस्तरीय जांच समितियां
रेलवे ने इस हादसे की जांच के लिए तीन उच्चस्तरीय समितियों का गठन किया है। इन समितियों का उद्देश्य है:जैसे निर्माण कार्य में अपनाई गई प्रक्रियाओं का विश्लेषण। हादसे के कारणों की पहचान।जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की सिफारिश।यह जांच इस बात का निर्धारण करेगी कि निर्माण कार्यों में कहां और कैसे लापरवाही बरती गई।
हादसे में घायल हुए मजदूरों की स्थिति ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि निर्माण कार्यों में मजदूरों की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया जाता। मजदूरों की जान बचाने के लिए न्यूनतम सुरक्षा उपाय भी नहीं किए गए थे। हेलमेट, सेफ्टी बेल्ट और अन्य सुरक्षा उपकरणों की कमी के कारण मजदूरों को गंभीर चोटें आईं।
जिम्मेदारी तय करने की जरूरत
यह घटना केवल ठेकेदार और इंजीनियर की लापरवाही तक सीमित नहीं है। रेलवे और स्थानीय प्रशासन की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे निर्माण कार्यों की नियमित निगरानी करें। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि परियोजनाओं को तय समय सीमा और गुणवत्ता मानकों के अनुरूप पूरा किया जाए।
निर्माण कार्यों में सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। मजदूरों को सभी आवश्यक सुरक्षा उपकरण मुहैया कराए जाने चाहिए।निर्माण सामग्री की गुणवत्ता की जांच के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी का गठन किया जाना चाहिए।मजदूरों और ठेकेदारों के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए ताकि वे सुरक्षा उपायों के महत्व को समझ सकें। निर्माण स्थलों पर नियमित निरीक्षण और निगरानी की जानी चाहिए। ठेकेदार, इंजीनियर और परियोजना से जुड़े अन्य अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।कन्नौज रेलवे स्टेशन हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं है, बल्कि यह एक चेतावनी है कि अगर निर्माण कार्यों में लापरवाही और अनदेखी जारी रही, तो ऐसे हादसे दोबारा हो सकते हैं। यह जरूरी है कि इस घटना से सबक लिया जाए और जिम्मेदार अधिकारियों, ठेकेदारों और इंजीनियरों को कड़ी सजा दी जाए। साथ ही, मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। रेलवे की उच्चस्तरीय जांच समितियों से उम्मीद की जाती है कि वे इस घटना की गहराई से जांच करें और दोषियों को न्याय के कठघरे में लाएं।
यह समय है कि हम मजदूरों की सुरक्षा, निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और प्रशासनिक जवाबदेही को प्राथमिकता दें ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।