भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने चंद्रयान-3 और सोलर मिशन के बाद अपनी एक और सफलता से पूरी दुनिया को चौंका दिया है। इसरो ने गुरुवार को SpaDeX (स्पेस डॉकिंग एक्सरसाइज) मिशन के तहत दो उपग्रहों को डॉक करने की प्रक्रिया सफलता हासिल कर ली है। इससे पहले रविवार 12 जनवरी को दो उपग्रहों को 3 मीटर तक करीब लाया गया था। डॉकिंग की सफलता के साथ अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है।
इसरो ने गुरुवार को एक्स पोस्ट में जानकारी देते हुए लिखा, “स्पैडेक्स डॉकिंग अपडेट…डॉकिंग सफ़लता… अंतरिक्ष यान डॉकिंग सफ़लतापूर्वक पूरी हुई! एक ऐतिहासिक क्षण। आइए स्पैडेक्स डॉकिंग प्रक्रिया पर नज़र डालें: 15 मीटर से 3 मीटर होल्ड पॉइंट तक पैंतरेबाज़ी पूरी हुई। डॉकिंग की शुरुआत सटीकता से हुई, जिससे अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक कैप्चर किया गया। वापसी सुचारू रूप से पूरी हुई, इसके बाद स्थिरता के लिए कठोरता बरती गई। डॉकिंग सफ़लतापूर्वक पूरी हुई। भारत अंतरिक्ष डॉकिंग में सफ़लता प्राप्त करने वाला चौथा देश बन गया। पूरी टीम को बधाई! भारत को बधाई!”
इससे पहले रविवार को इसरो ने एक्स पोस्ट के जरिये स्पेस डॉकिंग एक्सरसाइज के लिए अपडेट दिया था। स्पैडेक्स डॉकिंग को लेकर इसरो ने पहले लिखा, “15 मीटर की दूरी पर हम एक दूसरे को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं, हम एक रोमांचक हाथ मिलाने के लिए सिर्फ 50 फीट की दूरी पर होते हैं।” इसके बाद संगठन ने लिखा, “दोनों उपग्रहों को पहले 15 मीटर और फिर 3 मीटर तक पहुंचने का परीक्षण प्रयास किया गया। दोनों को सुरक्षित दूरी पर वापस ले जाया जा रहा है। अब पहले डेटा का विश्लेषण किया जाएगा, इसके बाद डॉकिंग की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।”
बता दें कि स्पेस डॉकिंग एक्सरसाइज (स्पैडेक्स) मिशन को इसरो ने 30 दिसंबर को लॉन्च किया था। इस दौरान पीएसएलवी सी60 रॉकेट ने दो छोटे उपग्रहों, एसडीएक्स01 (चेजर) और एसडीएक्स02 (टारगेट) तथा 24 पेलोड को लेकर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के फर्स्ट लॉन्चपैड से उड़ान भरी थी। जिसके 15 मिनट बाद ही दो छोटे अंतरिक्षयान को 475 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित कर दिया गया था। इनका वजन 20 किलोग्राम था।
स्पेस डॉकिंग एक्सरसाइज में सफलता भारत के लिए कई मायने हैं। इससे भविष्य के मिशन जैसे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री को उतारने में मदद मिलेगी। अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक तब आवश्यक होती है जब सामान्य मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च की जरूरत होती है।