नई दिल्ली। 2014 में बिना अपने परिवार को बताए, एक दिल्ली के व्यापारी ने एक फाइनेंसर से 50 हजार रुपये का कर्ज लिया था। उस समय मामूली ब्याज दर पर लिया गया यह कर्ज धीरे-धीरे अपने दुष्परिणाम दिखाने लगा। 11 साल बाद, ब्याज में चक्रवृद्धि से कुल देनदारी बढ़कर 10 लाख रुपये तक पहुँच गई। इस असहनीय आर्थिक दबाव के कारण व्यापारी की मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा।
प्रारंभिक कर्ज और ब्याज वृद्धि:
व्यापारी ने 2014 में आर्थिक जरूरतों के चलते फाइनेंसर से 50 हजार रुपये का कर्ज लिया था। समय के साथ ब्याज दर में वृद्धि हुई और ब्याज का चक्रवृद्धि प्रभाव देखते ही देखते कुल कर्ज 10 लाख रुपये तक पहुँच गया, जिससे व्यापारी पर अत्यधिक वित्तीय दबाव पड़ने लगा।
बढ़ते ब्याज के साथ-साथ फाइनेंसर द्वारा लगातार नोटिस और दबाव ने व्यापारी की मानसिक स्थिति को और बिगाड़ दिया। आर्थिक शोषण और मानसिक दबाव ने उसे ऐसी स्थिति में ला दिया कि उसने अपनी जान लेने का निश्चय कर लिया।
सुसाइड से ठीक पहले, व्यापारी ने दो वीडियो रिकॉर्ड किए, जिनमें उसने अपनी आंतरिक पीड़ा, आर्थिक संकट और फाइनेंसर के दबाव का खुलासा किया। इन वीडियो में उसने मदद की पुकार करते हुए अपनी असहनीय स्थिति को बयान किया।
इस दर्दनाक घटना ने समाज में हलचल मचा दी है। कई विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ऐसे मामलों में छोटे व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए मजबूत नीतियाँ बनाने की मांग की है। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि फाइनेंसरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में इस प्रकार के वित्तीय शोषण को रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे।